लड़कियों की सुरक्षा के लिए ये महिला बनी ‘लेडी सिंघम’ !

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बहराइच– सडक से संसद तक मशहूर पीपीएस अधिकारी को किसी ने लेडी सिंघम कहा तो किसी ने आयरन लेडी। तमाम उपाधियों से मशहूर श्रेष्ठा ठाकुर न तो लेडी सिंघम बनना चाहती है न ही आयरन लेडी कहलाना पसंद करती है लेकिन खुद लड़की होने के नाते पढ़ाई के दौरान मनचलों का शिकार हो चुकी श्रेष्ठा ठाकुर अब जंहा भी रहती है वो किसी लड़की को सड़क पर चलते असुरक्षित महसूस करना पसंद नही करती।

श्रेष्ठा ठाकुर के कोमल हदय का अंदाजा उनके किए गए कृत्यों से जाना जा सकता है। वो बुलंदशहर में रहे, कानपुर रहे या फिर बहराइच में रहे, लेकिन लावारिश कुत्तों को खाना खिलाना नही भूलती है। प्रतिदिन के नित्यकार्यों में उनका एक अहम काम ये भी है कि वो अपने हिस्से से ज्यादा खाना बनवाकर डेली लवारिश कुत्तों को खाना खिलाती है।

कम्प्यूटर स्पेशिलिस्ट चर्चित आइपीएस नवनीत सिकेरा को जिस प्रकार न्याय न मिलने के कारण उन्होने अपनी आईटी की नौकरी छोड़कर सिर्फ न्याय पाने के लिए आईपीएस की पढ़ाई की और आईपीएस क्वालीफाई करने के बाद एक न्यायप्रिय अधिकारी के रूप में मशहूर हुए। लगभग उसी तरह श्रेष्ठा ठाकुर जब कानपुर में शिक्षा ग्रहण कर रही थीं तो उनके साथ दो बार मनचलों ने छेड़छाड़ की। उस समय उनको ये लगा कि इस प्रकरण में पुलिस को जिस तरह अपनी कार्यवाही करनी चाहिए। उस प्रकार पुलिस ने कार्यवाही नही की। तभी उनके मन में एक पुलिस अफसर बनने की चाहत ने जन्म लिया और उन्होने सन 2012 में अपनी चाहत को हकीकत बनाकर पीपीएस क्वालीफाई किया। 

भाई का है सबसे बड़ा योगदान:

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पिता एस बी सिंह भदौरिया और माता मिथलेश भदौरिया की सबसे छोटी संतान के सपनों को परवान चढाने में उनके बड़े भाई मनीष प्रताप का बड़ा योगदान है। पीपीएस जैसी कठिन परीक्षा में कभी भी जब श्रेष्ठा ठाकुर का मन ऊबने लगता था तो मनीष प्रताप ही उनका मनोबल बढ़ाते थे। मनोज प्रताप और मनीष प्रताप ये दोनो भाई यू तो अपनी छोटी इकलौती बहन श्रेष्ठा ठाकुर को काफी स्नेह करते है लेकिन पढाई में सहयोग के मामले में मनीष प्रताप सदैव अव्वल रहे। कारोबारी पिता बी एस सिंह भदौरिया को खुद ये नही पता था कि एक दिन उनकी लड़की पुलिस अफसर बनकर न सिर्फ उनका बल्कि पूरे परिवार का सम्मान बढ़ाएगी। 

न्याय की बात करने वालों का है स्वागत :

नोएडा, बुलंदशहर के बाद बहरइच में अपनी तैनाती के दौरान श्रेष्ठा ठाकुर ने एक मुलाकात में बताया कि जैसा कि उनके बारे में चर्चित है कि वो राजनैतिक दलों के प्रभाव को नही मानती है ऐसा कुछ नही है। बल्कि हकीकत ये है कि न्यायहित में चाहे राजनीतिक व्यक्ति हो और चाहे आम आदमी श्रेष्ठा ठाकुर सदैव उसके साथ खड़ी दिखाई देती है। पूरे समाज के सुधार पाना शायद संभव तो नही है लेकिन जिस सर्किल में श्रेष्ठा ठाकुर तैनात रहती है वंहा उनका यही मकसद होता है कि सड़क पर चलने वाली कोई भी लड़की निर्भीक होकर आए – जाए और पुलिस की मौजूदगी का ख्याल उसके मन में सदैव बना रहे। 

आम जनमासन के दिल में राज करती है श्रेष्ठा ठाकुर:

महिलाओं के मामले में सचेत रहने वाली श्रेष्ठा ठाकुर न सिर्फ लड़कियो को कानूनी तौर पर मजबूत करना चाहती है बल्कि शारीरिक तौर पर भी मजबूत करने के लिए वो उन्हे ताइक्वांडो की ट्रेनिंग भी देती है और समय समय पर महिला कालेजों में जाकर लड़कियों को जागरूक करने का अभियान चलाती है। इसी क्रम में उन्होने बहराइच महिला डिग्री कालेज, तारा महिला स्कूल, आर्य कन्या पाठशाला में जा जाकर लड़कियों को आत्मबल मजबूत करने की टेªनिंग दी है। श्रेष्ठा ठाकुर की बहराइच में तैनाती चाहे सत्तापक्ष के लोगो को न भी पसंद आ रही हो लेकिन आमजनमानस ये चाहता है कि वो अपनी नौकरी का ज्यादा से ज्यादा समय बहराइच में बिताएं। इससे ये बात साफ है कि आम जनता के दिल में श्रेष्ठा ठाकुर राज करती है।

रिपोर्ट-अनुराग पाठक, बहराइच 

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