प्रेम की अनोखी मिसाल: इंजीनियरिंग छोड़ बन गए नेचर क्लब के योद्धा

0 79

जिस तीव्र गति से पर्यावरण की दुर्दशा हुई है, मौजूदा समय यह हमारे लिए एक अलार्म की तरह है। मनुष्य ने अपनी उदरपूर्ति, इच्छापूर्ति और स्वाद के लिए पेड़-पौधों, वनस्पतियों व जीवों का जीवन संकट में डाल दिया है।

यह भी पढ़ें-आतंकी हमले की 15वीं बरसी पर सुरक्षा की जंजीरों में जकड़ी अयोध्या नगरी

बदलते वक्त की आंधी में तमाम अन्य पशु पक्षी, नदी, तलाब और जंगल भी विलुप्ति की कगार पर हैं। यदि हम अब भी न चेते तो विनाश की इस आंधी में बहुत कुछ नष्ट हो जाएगा। ऐसे में जिले के युवा अभिषेक दूबे पशु-पक्षियों और जैवविविधता को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तन मन और धन से प्रकृति और वन्यजीवों के लिए समर्पित अभिषेक स्कूल कालेज के छात्र-छात्राओं को जागरुक करते हैं। वे प्रकृति और वन्यजीव संरक्षक के तौर पर जाने जाते हैं। अभिषेक इंजीनियर थे, लेकिन प्रकृति, पक्षियों और जानवरों में उनकी दिलचस्पी ने उनका जीवन बदल दिया।

अभिषेक ने प्रकृति और जैव विविधता संरक्षण का वीणा उठाया और कई वर्षों से नेचर क्लब फाउंडेशन के बैनर तले बिना रुके थके कार्य कर रहे हैं। लाक डाउन में भी अभिषेक आगे आए और उन्होंने अपने समर्थकों की मदद से लाखों रुपए खर्च कर लगातार 40 दिनों तक हजारों बेसहारा जानवर, बंदर, कुत्तों और पक्षियों को चारा, भूसा, सब्जी, रोटी, तहरी, फल खिलाया।

इंजीनियरिंग छोड़ प्रकृति से जोड़ा नाता-

Related News
1 of 68

जनपद मुख्यालय के मोहल्ला सिविल लाइन तथा कर्नलगंज तहसील क्षेत्र में परसा महेसी गांव के मूल निवासी शिक्षक प्रसिद्ध नाथ दूबे और मंजू दूबे के इकलौते पुत्र अभिषेक दूबे ने डिप्लोमा के बाद लखनऊ के रामेश्वर प्रसाद इंजीनियरिंग कालेज से इलेक्ट्रानिक्स में बीटेक की पढ़ाई की और सिंगापुर की एक कम्पनी में इंजीनियर हो गए। लेकिन बचपन से ही प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम के कारण साल भर बाद ही उन्होंने यह ग्लैमरस नौकरी छोड़ दी और वापस घर चले आए।

तब से अभिषेक पौधरोपण, वन्यजीवों का संरक्षण, नदियों-तालाबों की सफाई, घायल पशु पक्षियों का इलाज, स्कूल कालेजों में पर्यावरण जागरुकता और प्राकृतिक धरोहर के अध्ययन में लगातार जुटे हैं। उन्हें माता पिता और इकलौती बहन दिव्या का भी भरपूर समर्थन और सहयोग मिल रहा है।

18 साल की उम्र में हुआ प्रकृति प्रेम-

अभिषेक बताते हैं कि जब वह 18 साल के थे, स्कूली शिक्षा के दौरान प्रकृति के विषय में अध्ययन के कारण उनके मन में प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम हो गया। उन्होंने बचपन के दिन नदी, तालाबों, जानवरों और पखियों को निहारते हुए गुजारे हैं। नेचर साइंस के प्रति उनमें नया सीखने की जबरदस्त उत्कंठा है। नोबेल पुरस्कार विजेता और अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति अल्बर्ट अर्नाल्ड गोरे (अल्गोरे) द्वारा वर्ष 2006 में ग्लोबल वार्मिंग पर बनाई गई फिल्म ‘एन इनकनविनियंट ट्रुथ‘ ने उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट का काम किया। 2009 में फिल्म देखने के बाद उनके सामने प्रकृति और जैवविविधता का अनोखा संसार खुल गया।

जीवन संगिनी भी प्रकृति प्रेमी-

कहते हैं कि मनुष्य नहीं, जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है। प्रकृति के लिए अपना शानदार कैरियर न्यौछावर करने वाले इंजीनियर अभिषेक दूबे के साथ भी यही हुआ और वर्ष 2018 में उन्हें पशु अधिकारों के लिए संघर्षरत मशहूर संस्था ‘वीगन आउटरीच‘ से जुड़ी रुषी दूबे जीवन संगिनी के रुप में मिलीं। अब अभिषेक की पत्नी रुषी दूबे के साथ-साथ नेचर क्लब से जुड़े अजय वर्मा, यामिनी सिंह, मोहित महंत, अंकित सिंह और अंबरीश शुक्ला, अनुराग आचार्य, आयुश पांडेय, दीपिका त्रिपाठी, दिवाकर द्विवेदी, मुकीम अहमद, नेहा मिश्रा, विकास राय चंदानी, राहुल कुमार जैसे कई सक्रिय सदस्य भी पशु-पक्षियों और पर्यावरण की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। रुषी दूबे और यामिनी सिंह नेचर क्लब के रेस्क्यू सेंटर से दुर्घटना अथवा किसी अन्य कारणों से घायल दर्जनों पशु-पक्षियों का इलाज कर उन्हें पुर्नजीवन दे चुकी हैं।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...