Lockdown: नवरात्री में कन्या पूजन व भोजन कराना संभव नहीं, अपनाएं ये विकल्प?

ज्योतिषाचार्यों की माने तो आपत्तिकाल में मर्यादाओं का 100 फ़ीसदी पालन करना आवश्यक नहीं

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कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए पूरा देश 21 दिनों के लिए लॉकडाउन (Lockdown) हो गया है. इसी बीच चैत्र नवरात्र भी शुरू हो गए हैं. नवरात्र 2 अप्रैल तक रहने वाले हैं. आमतौर पर इस समय जगह-जगह पर भंडारे और कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है. लेकिन इस बार धार्मिक कार्यक्रमों में कन्याओं और आम लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं. जिसके चलते इस नवरात्र में कन्या भोजन और कन्या पूजन संभव नहीं हो पाएगा.

दरअसल हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार अष्टमी या नवमी के दिन कम से कम 7 या 9 कन्याओं को भोजन और उनका पूजन करना बेहद जरूरी है, लेकिन इस बार यह संभव नहीं होगा. ऐसे में इस कमी को पूरा करने के लिए आप इन विकल्पो को चुन सकते है…

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ये हो सकते है विकल्प…

पंडितों की माने तो हिंदू धर्म में मानसिक पूजा की भी बड़ी मान्यता है. उन्होंने बताया कि अब जबकि हम कन्या पूजन पूजन और कन्या भोजन नहीं करा पा रहे हैं. ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया को मानसिक तौर पर करना होगा. जिस तरह से हम पूजा और भोग की थाली सजाते हैं, उसे वैसे ही घर में सजाएं. जिन कन्याओं को आप बुलाना चाहते हैं. उन कन्याओं का ध्यान करके मानसिक तौर पर उन्हें आसन बिछाकर बिठाएं और मन में ध्यान करें कि आप उनके पैर धो रहे हों. उसके बाद आलता लगा रहे हों, चुनरी बांध रहे हो, उन्हें दान दक्षिणा दे रहे हों और फिर उन्हें भोजन करा रहे हों.

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मान में ही दें कन्याओं को दक्षिणा

ऐसा सब कुछ मन में मन में ही सोचना होगा और वास्तव में कन्याओं की गैरमौजूदगी में भी पूजा की थाल और प्रसाद की थाल सजाना होगा. उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन खत्म हो जाए तो जिन कन्याओं के होने का आपने ध्यान किया हो उन्हें प्रसाद और दक्षिणा पहुंचा दें.

मर्यादाओं का पालन करना आवश्यक नहीं

ज्योतिषाचार्यों की माने तो ‘आपत्तिकाले मर्यादा नास्ति’- यानी जब आपत्तिकाल (Lockdown) हो और परंपराओं का पालन संभव न हो, ऐसे समय में मर्यादाओं का 100 फ़ीसदी पालन करना आवश्यक नहीं है. उन्‍होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से यदि कोई कन्या पूजन और कन्या भोजन नहीं करा पा रहा है तो इससे बिल्कुल भी विचलित होने या इसके बारे में नकारात्मक सोचने की जरूरत नहीं है. हमारे शास्त्रों में ही यह विधान किया गया है कि विपरीत परिस्थितियों में सभी कर्मकांडों का पालन आवश्यक नहीं है.

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