प्रकृति को बचाने के लिए कृष्णनन्द राय इस तरह कर रहे हैं सराहनीय कार्य…

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लखनऊ — “धरती मैया काँप रहीं ,

                प्रकृति की रक्षा बहुत जरूरी। 

                पर्यावरण बचाना है , 

                जन – जन को यह बतलाना है। “

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 कुछ इन्हीं पंक्तियों के साथ पर्यावरण को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है ; कृष्णनन्द राय ने। कृष्णनन्द राय मूल रूप से गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं और वर्तमान में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में वरिष्ठ लेखाकार के पद पर लखनऊ में कार्यरत हैं। कृष्णनन्द राय को कवितायें लिखने का भी शौक है। उन्होंने अभी तक हिंदी , अवधी और भोजपुरी भाषाओं में अपनी कविताओं को एक अनोखे रंग में सजाया है। उनकी कविताओं में भी पर्यावरण के प्रति उनका प्रेम साफ़ झलकता है। 

ऐसा नहीं है कि वह केवल लोगों को प्रदूषण रोकने का सिर्फ सुझाव ही देते हैं ; बल्कि वह स्वयं ही उन छोटे – छोटे नियमों को अपनाकर अपने दैनिक काम करते हैं, जो प्रदूषण रोकने में सहायक हों। इसका एक उदाहरण तब देखा जा सकता है; जब वह अपनी मोटरसाइकिल छोड़कर साइकिल पर सवार होकर अपने दफ्तर के लिए रवाना होते हैं। वह अपने दफ्तर के सहयोगियों को भी साइकिल से चलने के लिए प्रेरित करते रहते हैं और उनकी बात का समर्थन करते हुए उनके दफ्तर के लगभग 10-15 सहयोगी भी अब साइकिल के माध्यम से ही अपने कई दैनिक कार्य निपटाते हैं। कृष्णनन्द राय का कहना है कि-‘ पर्यावरण को बचाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि हम बड़े – बड़े काम करें ; बल्कि छोटे – छोटे उपायों से भी पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सकता है। मैं ये नहीं कहता कि नदियों की साफ़ – सफाई करो लेकिन इतना तो किया ही जा सकता है कि नदी- नालों की सफाई करने वालों की थोड़ी सी मदद कर दी जाये। इससे उनका हौंसला नहीं टूटेगा।’ 

पर्यावरण को बचाने के छोटे – छोटे उपायों के विषय में बताते हुए उनका कहना है कि अगर बाज़ार जाते समय सब्जी वगैरह लाने के लिए अपना थैला स्वयं ले जाया जाए तो पॉलिथीन का प्रयोग कम होने से प्रदूषण के मानक कुछ तो कम हो जाएंगे। शादी – बारात में भी अगर सभी लोग पानी पीने के लिए केवल एक ही गिलास का प्रयोग करने लगें तो कूड़े के अम्बार से भी मुक्ति मिल सकती है और अनावश्यक खर्च पर भी विराम लग सकता है। अभी हाल ही में लखनऊ में आयोजित एक मिनी मैराथन में भी वह अपनी साइकिल पर तरह – तरह के स्लोगन लिखी तख्तियां लगाकर लोगों को पर्यावरण बचाने का सन्देश देने के लिए निकल पड़े थे। वह पर्यावरण जागरूकता को लेकर हर वक्त मुस्तैद रहते हैं। सड़क सुरक्षा को लेकर सवाल पूंछने पर वह अपने चिर – परिचित कवि के अंदाज़ में कहते हैं -‘ गति धीमी कर लीजिये , जहाँ कहीं हो मोड़। सड़क – सुरक्षा भाग्य पर , नहीं दीजिये छोड़। ‘

सड़क सुरक्षा पर वह कहते हैं कि -‘सड़क पर तो स्पीड – ब्रेकर बना रहता है ; लेकिन अब रफ़्तार को देखते हुए गाडी में भी स्पीड ब्रेकर लगाना बेहद जरूरी है। जिससे लोग मानक से अधिक स्पीड में गाडी न चला पाएं। ‘ पर्यावरण और नदियों की सफाई को लेकर इनकी सक्रियता नदियों के तट से लेकर मंच तक दिखती है। कृष्णनन्द राय लखनऊ में पर्यावरण से सम्बंधित लगभग हर एक संस्था से जुड़कर अपने कार्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। 

( रिपोर्ट – श्वेता सिंह , लखनऊ )

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