लखनऊ:अब भूलभुलैया में नहीं सुनाई देगी जादुई आवाज, बंद की गयी बालकनी

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लखनऊ–राजधानी में पर्यटकों का दिल तोड़ देने वाला फैसला सामने आया है। जिसके  तहत भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बड़ा इमामबाड़ा स्थित भूलभुलैया के हॉल की बालकनी को बंद कर दिया है। इस बालकनी में खड़े होकर ही पर्यटक ध्‍वनि चमत्‍कार देखा करते थे। 

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‘अब मैं ये माचिस की तीली हॉल के एक दूसरे कोने में जाकर जलाऊंगा और आपको उसकी आवाज यहां इस कोने पर सुनाई देगी।’ नवाबों के शहर लखनऊ के विश्‍व‍प्रसिद्ध 200 साल पुराने भूलभुलैया में आने वाले पर्यटकों से टूरिस्‍ट गाइड यही लाइनें दोहराते हैं, फिर उन्‍हें ध्‍वनि चमत्‍कार का दीदार कराते हैं। जादुई ध्‍वनि सुन पर्यटकों की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं पर अब यह सब गुजरे जमाने की बातें हो गई हैं। 

इस बारे में एएसआई अधिकारियों का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी सेल्‍फी लेने के चक्‍कर में किसी भी हद तक गुजर जा रही है। भूलभुलैया के भीतर हॉल की बालकनी बेहद संकरी है। यहां बहुत अधिक संख्‍या में पर्यटक नहीं आ सकते। सेल्‍फी लेने के चक्‍कर में कभी भी कोई पर्यटक बालकनी से नीचे गिरकर अपनी जान भी गंवा सकता है, ऐसे में कोई दुर्घटना न हो, इसलिए बालकनी में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। 

एएसआई के इस फैसले से दूर-दूर से भूलभुलैया का दीदार करने के लिए आने वाले पर्यटक तो नाराज हैं ही, टूरिस्‍ट गाइड भी कम गुस्‍से में नहीं हैं। पुराने गाइड बताते हैं कि भूलभुलैया में प्रवेश के लिए वर्ष 1946 से टिकट दिया जाने लगा। उस समय इसकी कीमत मात्र 25 पैसे थी। 

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