देश में तेजी से बढ़ रहा नकली दवाओं का करोबार, 10 सेकेंड में होगी असली दवाओं की पहचान

देश में नकली दवाओं का कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रही है। वही इस बात से  सरकार भी बखूबी वाकिफ है कि नकली दवाओं का करोबार देश में देश में तेजी से बढ़ रहा है।

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देश में नकली दवाओं का कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रही है। वही इस बात से  सरकार भी बखूबी वाकिफ है कि नकली दवाओं का करोबार देश में देश में तेजी से बढ़ रहा है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि जो दवाएं अप मार्केट से खरीद रहे है वो असली है या फिर नकली। हालांकि नकली दवाइयों के कारोबार को पूरी तरह कंट्रोल कर पाना मुश्किल है लेकिन लोगों को इसके बारे में सही जानकारी होने पर कमी जरुर लाई जा सकती है।

दुनियाभर में बढ़ रहा नकली दवाओं का कारोबार:

दरअसल, पांच साल पहले यानी 2017 में ASSOCHAM की एक रिपोर्ट आई थी।  उस  रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में जितनी दवाएं बिकती हैं उसमें से 25 प्रतिशत नकली है।  उस रिपोर्ट का नाम था “Fake and Counterfeit Drugs In India –Booming Biz” यानी भारत में नकली दवाओं का बढ़ता कारोबार।  जबकि दवाओं को रेगुलेट करने वाली दो दिग्गज एजेंसी हैं।  जिसमें से एक भारत की DCGI (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) और दूसरी FDA (अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन), ये दोनों एजेंसी इस बात का ख्याल रखती हैं कि कंपनियां सही दवा बनाएं।  जिससे लोगों की हेल्थ के साथ खिलवाड़ न हो।  इसके बावजूद भी भारत में ज्यादातर दवाएं जो मार्केट में बिकती हैं, उसमें 25% से ज्यादा नकली दवाएं होती हैं।

जल्द लॉन्च हो होगा असली दवाओं को पहचान करने वाला ऐप:

ASSOCHAM की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में नकली दवाओं का कारोबार करीब 10 बिलियन डॉलर यानी एक हजार करोड़ रुपए से ऊपर का है।  सरकार भी इसका समाधान चाहती है।  जिसके लिए एक ऐसे ऐप को लॉन्च करने पर विचार कर रही है, जिसमें QR कोड स्कैन करने पर उस दवा के बारे में सही जानकारी मिल सके। वहीं दवाओं पर प्रिंट हुए कोड को स्कैन करने पर आपको पता चल जाएगा कि दवा किस कंपनी ने बनाई है, सॉल्ट क्या है और कब तक एक्सपायर होगी। हालांकि ये ऐप अभी आया नहीं है लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही लॉन्च हो सकता है।

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इस तरह काम करेगा ऐप:

बता दें कि सरकार चाहती है कि पहले उन दवाओं को लिस्ट में शामिल किया जाए जो ज्यादातर मार्केट में बिकती हैं।  क्योंकि फर्जीवाड़ा उन्हीं दवाओं में होता है, जो ज्यादा बिकती हैं और जिन्हें खरीदने के लिए डॉक्टर के पर्चे की भी जरूरत नहीं पड़ती। जैसे- एंटीबायोटिक, पेन रिलीफ, दिल की बीमारियों से जुड़ी और एंटी एलर्जिक। अब ऐसे में दवा कंपनियां जब मेडिसिन बनाएंगी, तो उन पर एक QR कोड देंगी। हालांकि इससे दवा कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा, लेकिन इससे दवा कंपनियों और लोगों, दोनों को नकली दवाओं से राहत मिलेगी।  क्योंकि नकली दवाओं से असली कंपनियों का कारोबार भी प्रभावित होता है।  वहीं शुरुआत कुछ चुनिंदा दवाओं से की जाएगी। फिर जब QR कोड वाली दवाएं मार्केट में आ जाएगी। वहीं आप अपने मोबाइल से ही उस ऐप के माध्यम से QR कोड स्कैन करके पता लगा सकेंगे कि दवा असली है या नकली।

 

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