लोहिया अस्तपाल में दवाओं के नाम पर बड़ा घोटाला !

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फर्रूखाबाद– एनएचएम घोटाले के लिए सुर्ख़ियों में रहे फर्रुखाबाद में घोटाले बंद होने का नाम नहीं ले रहे हैं.भाजपा सरकार ने भले ही भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का संकल्प लिया हो पर भ्रष्ट अफसर सरकार को कलंकित करने से बाज नहीं आ रहे हैं.

बिना पढ़ा- लिखा भी जानता है कि दवाएं प्रिंट रेट पर ही बिकती हैं पर यहाँ प्रिंट रेट से दस और बीस गुने रेट से बिल बना कर रकम निकाली जा रही है.फर्जी बिल बनाने के लिए जिलाधिकारी, सीडीओ, न्यायिक अधिकारी, सरकारी डाक्टर, सीएमओ कार्यालय के बाबू और फार्मासिस्ट के नाम का सहारा लिया गया. यह सभी इस गोरखधंधे से पूरी तरह अनजान हैं. आरटीआई के तहत इस बारे में जानकारी न दिए जाने के बाद अब मुख्यमंत्री से इस काले कारोबार की शिकायत की गयी है. 

यूपी सरकार ने अभी हाल ही में जिस लोहिया अस्पताल के सीएमएस को कायाकल्प अवार्ड से नवाजा था उसी सीएमएस के नाम घोटालों का बहीखाता पूरी सरकार को चुनौती दे रहा है. लोहिया अस्पताल में अधिकारियों के इलाज के लिए लोकल पर्चेज (स्थानीय खरीद) के नाम पर दवाओं की खरीद में कथित रूप लाखों रुपये का खेल हो गया है। मामले में मुख्यमंत्री से शिकायत की गई है। शिकायत के मीडिया में आने के बाद से विभागीय अधिकारी अब सीधा जवाब देने से बच रहे हैं। मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में कहा गया है कि प्रशासनिक व न्यायिक अधिकारियों तक के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। इसमें उन दवाओं की भी खरीद दिखा दी गई है, जिनकी खरीद लोकल पर्चेज के अंतर्गत अनुमन्य ही नहीं है। खरीदी गई दवाओं की कीमत भी वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक कीमत पर खरीदी गई है। डेढ़ रुपए कीमत के कैप्सूल का बीस रुपए प्रति की दर से भुगतान किया गया है। 

कुछ इस तरह घोटाले को अंजाम दिया गया–

1-  लोकल पर्चेज का एक बिल संख्या 000018 दिनांक 07 सितंबर 2017 –

2- टेबलेट रोवामाइसीन फोर्ट कीमत 1426 रुपये और टेबलेट एक्स- कार कीमत 614 रुपये है जो तत्कालीन जिलाधिकारी के नाम से जारी कर दी गयी. यह दवा महिला के उपचार में काम आती है जबकि तत्कालीन जिलाधिकारी पुरुष थे. 

3 – एक कक्ष सेवक के नाम से टेबलेट जी पाम. 5 एमजी का बिल 30  रुपये प्रति गोली की दर से बनाया गया जबकि बाजार में इसके रेट 2 . 50  रुपये प्रति गोली है. 

4 – टेबलेट रोजूटार गोल्ड और कैप्सूल रेबीकाइण्ड डीएसआरके 823. 55 रुपये बिल में लगे हैं. जबकि इसके लिए कोई इंडेंट जारी नहीं हुआ है.

5 – तत्कालीन सीडीओ अविनाश प्रसाद के नाम से टेबलेट डेक्लाहेप 60 एमजी और टेबलेट टैरोग्रेप 5 एमजी के 11 , 580  रुपये बिल में चढ़ाये गए हैं जबकि तत्कालीन सीडीओ ने यह दवाएं मांगी ही नहीं। 

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6 – सीएमओ कार्यालय के लिपिक भोला चतुर्वेदी के नाम से 24, 885  रुपये की दवा खरीद दिखाई गयी पर लिपिक यह दवाएं लिए जाने से ही इंकार कर रहे हैं. 

7 – सीएमओ के अधीन स्टोर में तैनात  फार्मासिस्ट चक्र सिंह यादव  की बीमारी के नाम से 19508 रुपये आहरित कर लिए गए।  जबकि वह बीमार ही नहीं थे. 

8 – तत्कालीन जनपद न्यायाधीश के नाम से बने बिल में टेबलेट ऐन्टाक्लिप 10  गोली 126  रुपये प्रति गोली दिखाई गयी जबकि इसके रेट 11.26  रुपये हैं. 

टेबलेट डिस्प्रिन 5.64  रुपये दिखाई गयी जबकि इसका रेट 47 पैसा प्रति टेबलेट है. टेबलेट टेल्मा 20 एमजी के रेट 10.47 पैसा प्रति गोली लगाई गयी जबकि एक रेट 3.53  रुपये प्रति गोली है. 

9 – इस बिल में कैप्सूल जीवित के रेट 20  रुपये प्रति कैप्सूल लगाई गई जबकि इसके रेट 1. 27 पैसे प्रति कैप्सूल है. 

10 – लिपिक संजय कुमार के नाम से कैप्सूल रेवीटाल की खरीद की गयी जबकि यह ताकत की दवा है और इसकी लोकल परचेज नहीं की जा सकती। 

यह बिंदु तो मात्र बानगी हैं, बिल संख्या एस 00021 दिनांक 14. 09 .17 में ही ऐसे ही अनाप शनाप रेट अंकित किये गए हैं और उन लोगों के नाम से बिल बने हैं जिन्हे दवाओं की जरूरत ही नहीं थी. 

दवा व्यापारी  अजय कटियार ने बताया कि जिन दवाओं के नाम पर फर्जीवाड़ा कर भुगतान लिया गया है बिल में उन दवाओं के बैच नंबर अंकित नहीं हैं. 

इस सम्बन्ध में पूछे जाने पर सीएमएस डा. बीबी पुष्कर ने सीधे- सीधे जवाब देने के बजाय शिकायतकर्ता पर ही आरोप लगाने शुरू कर दिए. उनके जवाब से स्पष्ट है कि  घोटाला पहले भी किया जा रहा था जो जारी रखा गया है.  लोहिया अस्पताल का अजब हाल है यहाँ आम मरीज को तो एस्प्रिन और पैरासीटामाल जैसी साधारण दवाएं भी मयस्सर नहीं हैं पर रसूख वाले लोगों को लाखों की दवाएं लोकल परचेज कराई जा रहीं हैं.इस बारे में मुख्यमंत्री से की गयी शिकायत के बाद लाखों का घोटाला सामने आया है. 

(रिपोर्ट- दिलीप कटियार,फर्रूखाबाद )

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