जातीय हिंसा से फिर सुलग उठा मेरठ…

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मेरठ — कहते हैं इश्क में सब कुछ जायज होता है लेकिन अब तो राजनीति में भी सब कुछ जायज होने लगा है । जी हां जैसे जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जातीय हिंसा पर राजनीति शुरू होने लगी है ।

अगर बात मेरठ के परीक्षितगढ़ की करें या फिर मेरठ के सरधना की करें या फिर मेरठ के उल्देपुर की करें तो यहाँ पर छोटी छोटी बातों पर विवाद ने जातीय हिंसा का रूप ले लिया और अब इन हिंसाओं पर राजनीति शुरू होने लगी। 

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दरअसल बीती 9 अगस्त को ग्राम उल्देपुर के ठाकुर और दलित बिरादरी के कुछ युवकों में कावड़ यात्रा में झांकी देखने को लेकर विवाद हो गया था। ये विवाद इतना बढ़ गया कि इसने पूरे गांव में जातीय हिंसा का रूप ले लिया, जिसमें रोहित नाम के एक दलित छात्र की मौत हो गई थी। जिसके बाद से ही इस मामले पर राजनीति शुरू होने लगी है। कुछ दिन पूर्व कमिश्नरी पार्क में ठाकुर बिरादरी के कई गांवों के लोगो ने प्रदर्शन करते हुए पुलिस पर एक तरफा कार्यवाही का आरोप लगाया था और इस मामले में भीम आर्मी द्वारा दलितों को भड़काकर मामले को तूल देने की बात कही है।

वही दूसरी तरफ आज सैकड़ो की संख्या में दलित समुदाय के लोग मेरठ के कमिश्नरी चौराहे पर इकट्ठा हुए और जुलूस निकालकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट तक गए । कलेक्ट्रेट में एडीएम न्यायिक को ज्ञापन देते हुए कहा कि रोहित के हथियारों को 10 दिन के अंदर गिरफ्तार किया जाए और दलितों पर हुए मुकदमों को वापस लिया जाए नही तो 10 दिन के बाद दलित उग्र आंदोलन करेंगे। इसके अलावा प्रदर्शन कर रहे लोंगो ने केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की, लेकिन मौके पर खड़ी पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रही। जब पुलिस से इस बारे में मीडिया ने सवाल किया तो पुलिस का कहना है कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनपर कार्यवाही की जाएगी।

(रिपोर्ट-अर्जुन टंडन,मेरठ)

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