27 साल पुराने मामले में एलडीए वीसी व सचिव के खिलाफ गैर जमानती वारंट

27 साल से नहीं दिया था प्लाट पर कब्जा.

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लखनऊ–27 साल से प्लाट के लिए चक्कर लगा रहे आवंटियों को कब्जा नहीं मिलने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है।

प्लाट के लिए 27 साल से चक्कर लगवाना तथा जिला उपभोक्ता फोरम, राज्य आयोग व राष्ट्रीय आयोग के आदेशों को दरकिनार करना एलडीए को महंगा पड़ा गया। जिला उपभोक्ता फोरम ने कड़ा रुख अपनाते हुए मंगलवार को एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन. सिंह व सचिव एमपी सिंह के खिलाफ गैर जमानती आदेश जारी कर दिया है। न्यायिक अधिकारी राजर्षि शुक्ला ने एसएसपी को चार दिसम्बर तक गिरफ्तार कर फोरम के समक्ष हाजिर करने का आदेश दिया है।

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मामला वर्ष 1992 का है। एलडीए ने कई लोगों को नवीउल्ला रोड से विस्थापित किया था। उनको सीतापुर रोड स्थित प्रियदर्शिनी योजना में प्लाट आवंटित किया था। चांद बाबू व अन्य को एलडीए ने कब्जा दे दिया लेकिन कृपाल सिंह, मोहम्मद हसीर, महबूब अली, सरदार बलदेव सिंह को कब्जा नहीं दिया गया। सभी से 13150 रुपए धनराशि भी जमा कराई। एडीए का चक्कर लगाकर थक गए तो विस्थापितों ने वर्ष 2000 में उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दायर कर दिया।

मामले की सुनवाई करते हुए फोरम ने वर्ष 2003 में सभी को आवंटित भूखण्ड संख्या क्रम से 94, 106, 95 व 97 की रजिस्ट्री कर भौतिक कब्जा देने का आदेश दिया। साथ ही कब्जा देने की तिथि तक जमा की धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्याज का भुगतान का भी आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ मामला राज्य उपभोक्ता आयोग पहुंचा। वहां जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले को बहाल रखा गया। इसके बाद एलडीए ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां से भी निराशा हाथ लगी और मामला इजराए वाद के रूप में जिला उपभोक्ता फोरम में वापस आ गया।

फोरम ने आदेश के अनुपालन के लिए एलडीए वीसी व सचिव को नोटिस जारी किया। जिलाधिकारी को भी आदेश दिया लेकिन गंभीरता से न लिए जाने पर फोरम ने मंगलवार को एलडीए वीसी व सचिव के खिलाफ गैर जमानती आदेश जारी कर दिया है।

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