लखीमपुर: कुकरमुत्तों की तरह जगह जगह खोली जा रही आभूषण की दुकानें

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लखीमपुर खीरी–एक और जहां हमारी मोदी सरकार ने अपनी गाइड लाइन जारी की है कि अब सभी आभुषण (सर्राफा) व्यापारियों को अपनी दुकानों का रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है और साथ ही सरकारी टैक्स को जमा करना और साहुकार के लाइसेंस भी होने की बात कर रही है तो वही अभी भी कुछ आभुषण व्यापारी सरकार की गाइडलाइन को अनदेखा कर खुलेआम धड़ल्ले से बिना रजिस्ट्रेशन अपना व्यापार चला रहे हैं।

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यही नहीं कुछ व्यापारी साहुकारा लाइसेंस न बने होने के बाद भी सरकार से छुपाकर अपनी रकम को ब्याज पर लोगों को देकर उनसे मोटी रकम भी वसूल कर रहे हैं और यही नहीं ऐसे लोग किसी भी प्रकार का सरकार को टैक्स भी न देकर टैक्स भी चोरी कर रहे हैं । जिससे साफ दिखाई दे रहा है कि यह सर्राफा व्यापारी अपनी दबंगई के चलते सरकार के गाइडलाइन को ताक पर रखकर अपना काम धड़ल्ले से कर रहे हैं । लेकिन इस पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों का कोई शिकंजा ना कसते देख अब यह सर्राफा व्यापारी नगर में जगह-जगह कुकुरमुत्ता की तरह अपनी दुकानें खोलकर लोगों को लूटने का कार्य कर रही है।

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उल्लेखनीय है के इस वक्त लखीमपुर खीरी जिले के तहसील पलिया में इस तरह के सर्राफा व्यापारियों की बढ़त तेजी से देखी जा रही है जो बिना रजिस्ट्रेशन और बिना साहूकारा लाइसेंस के धड़ल्ले से अपना व्यापार और ब्याज का काम करते दिखाई दे रहे और यही नहीं यह सरकार के टैक्स की भारी मात्रा में चोरी कर रहे हैं । लेकिन जिम्मेदारों को इस पर कोई संज्ञान ना लेने के चलते ऐसे सराफा व्यापारियों के हौसले बुलंद हैं पलिया तहसील की गर बात करें तो इस वक्त आभूषणों में सोने और चांदी की क्वालिटी में इतना अंतर आ गया है कि लोग पीतल और गिलट इस्तेमाल करें कर लें और सोने-चांदी जिसमें पता ही नहीं चलता कि इस में अंतर क्या है ।

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देखा जाए तो अगर हम क्वालिटी की बात करें तो पहले जहां सोने की क्वालिटी में अस्सी परसेंट और चांदी में 60% परसेंट के आभूषणों की बिक्री की जाती थी जिससे इन लोगों को आभूषण खरीदने के बाद कभी जरूरत पर यदि आभूषणों को बेचना पड़ जाए तो उनको काफी सुविधा मिल जाती थी । लेकिन अब हाल यह हो गया है कि आभूषण विक्रेताओं के हौसले बुलंद होने के चलते आभुषण की क्वालिटी में काफी ज्यादा गिरावट हो गयी है अब सोने के आभुषण मात्र 60% से 70% परसेंट बचा है और चांदी का परसेंटज मात्र तीस से चालिस ही दे रहे हैं ।

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