पीएम मोदी ने नौसेना को सौंपी ‘कलवरी पनडुब्बी’, बढ़ाएगी नौसेना की ताकत

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न्यूज डेस्क — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा करते हुए स्कॉर्पीन श्रेणी की कलवरी पनडुब्बी को नौसेना में शामिल । कलवरी को नौसेना में शामिल करने के लिए आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा और अन्य शीर्ष रक्षा अधिकारी मौजूद थे।

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इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कलवरी ‘मेक इन इंडिया का एक शानदार उदाहरण है और यह नौसेना की ताकत बढ़ाएगी।वहीं पीएम मोदी पनडुब्बी का उद्घाटन करने बाद कार्यक्रम में कहा कि आज सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए बहुत गौरव का दिन है। वह सभी देशवासियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई देते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि आईएनएस कलवरी भारत और फ्रांस के बीच तेजी से बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। आईएनएस कलवरी हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की रक्षा क्षमताओं को कई गुना तक बढ़ाने वाली है।यह पनडुब्बी न केवल नौसेना की ताकत को एक अलग सिरे से परिभाषित करेगी बल्कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए भी एक मील का पत्थर मानी जा रही है।

इसके अलावा मोदी ने अपनी सरकार के मूल मंत्र “सबका साथ सबका विकास” का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने आतंकवाद तथा नक्सली खतरे से सफलतापूर्वक मुकाबले के बारे में भी बताया. प्रधानमंत्री ने कहा “भारत ने पिछले 25 साल से पनडुब्बी निर्माण में अपनी क्षमता साबित की है. ये ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम हैं. पनडुब्बी बनाने से न केवल ऑर्डर के जरिए उद्योग को लाभ होगा बल्कि गुणवत्ता नियंत्रण के जरिए भी उसे फायदा होगा.

उधर नौसेना के एक अधिकारी ने बताया “कलवरी के, गहरे पानी में 120 दिन तक गहन समुद्री परीक्षण हुए हैं. पनडुब्बी के विभिन्न उपकरणों के लिए भी परीक्षण किए गए.” उन्होंने कहा कि कलवरी से भारत की नौवहन क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है. इस पनडुब्बी का डिजाइन फ्रांसीसी नौसेना रक्षा एवं ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस ने तैयार किया है. इसका निर्माण भारतीय नौसेना के ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत मुंबई स्थित मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में किया गया.

गौरतलब है कि पहली कलवरी 8 दिसंबर 1967 को नौसेना में शामिल की गई थी. यह भारतीय नौसेना की पहली पनडुब्बी भी थी. करीब तीन दशक तक भारतीय नौसेना को अपनी सेवाएं देने के बाद इसने 31 मई 1996 को अपना काम बंद किया था.

 

 

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