रहस्यमयी बीमारी से खोए 4 बच्चे, अब बेबस पिता को तीन की मौत का इंतजार

बच्चों के बारे पूछने पर फफक कर रो पड़ा पिता,इलाज में सब कुछ हो चुका है खत्म

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अम्बेडकरनगर — एक औलाद की चाहत में लोग क्या कुछ नहीं करते पर वही औलाद अगर किसी बीमारी के कारण धीरे-धीरे मौत के करीब जा रहें हो और माँ बाप अपने बच्चों को अपनी आँखों के ही सामने मौत के करीब जाते देंख रहें हो… सोंच कर दुसरों का कलेजा फट जाएगा. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इनके माता पिता पर क्या गुजर रही होगी जो इन बच्चों को इलाज के आभाव में मरने का इंताजार कर रहें हो जिसे बताने की जरूरत नहीं.

जमीन पर घिसक-घिसक कर चलने को मजबूर मासूम..

दरअसल मामला अम्बेडकरनगर जिले के आलापुर तहसील क्षेत्र के इंदौरपुर गाँव का है. जहां जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गाँव में बिहारी का परिवार रहता है. जिसके तीन बच्चे किसी रहस्यमी बीमारी से ग्रषित हैं. बच्चो का शारीरिक विकास नहीं हो रहा है.बच्चों की उम्र एक साल होने के बाद इन बच्चों के सर से बाल ख़त्म हो गए और जैसे-जैसे इन बच्चों की उम्र बढ़ती गयी वैसे वैसे इनकी बीमारियां भी बढ़ती गयी.हालात यह है कि अब इन बच्चों का चलना फिरना भी दूभर हो गया है और ये मासूम जमीन पर घिसक घिसक कर चलने को मजबूर है.

उम्र के साथ पैरों की हड्डियां हो जाती है टेढ़ी.. 

बता दें कि इस रहस्यमयी बीमारी से ग्रसित बच्चों का बाप बिहारी मजदूरी का काम करता है.इसके अभी तक चार बच्चे इसी बीमारी के चलते पहले ही मर चुके है.और अब ये तीन बच्चे जिसमे बड़ी बेटी 19 साल की है, दूसरी बेटी 9 वर्ष की है, और तीसरा बेटा सोनू 3 साल का है, ये बच्चे एक साल तक सामान्य रहते हैं. पर इनकी उम्र जैसे जैसे बढ़ती है इनके पैरों की हड्डियां पतली होकर टेढ़ी हो जाती है और इनका ग्रोथ भी थम जाता है , आज ये तीनों मासूम एक जगह बैठे रहने को मजबूर हैं.

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बीमारी से कर्ज में डूबा परिवार हुआ बेघर..

इन मासूमो के पिता बिहारी ने बताया कि इन बच्चों की बीमारी के इलाज के लिए कई जगहों पर दौड़ लगाई.लेकिन आज तक इन बच्चों के बीमारी का पता तक नहीं चल सका. बिहारी ने बताया कि बच्चों के इलाज में सबकुछ ख़त्म कर दिया.लाखों रुपये के कर्ज में डूब गया है आलम यह है कि परिवार खाने को मजबूर है रहने को सिर्फ झोपड़ी है और मजदूरी करके किसी तरह पेट पाल रहे है.इलाज अब नहीं करा सकते अब तो मरने का ही इन्तजार है.

पूछने पर फफक कर रो पड़ा बेबस पिता..

जैसे ही हमने बिहारी से बच्चों के बारे में पूंछा तो बिहारी फफक कर रो पड़ा. जब हमने सहज दिखने वाली बड़ी बेटी काजल से बात करने की कोशिश की तो बात करते करते वह भी रो पड़ी जिससे आस पास खड़े हर किसी की आँखे नम हो गयी.

(रिपोर्ट-कार्तिकेय द्विवेदी,अम्बेडकरनगर)

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