बनारस से था अटल जी का गहरा नाता,यहीं से पत्रकारिता जीवन की हुई शुरुआत

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वाराणसी — पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को काशी बहुत रास आती थी। उन्होंने इसी काशी से पत्रकारिता शुरू की। यहीं वह संपादक रहे। यह वाकया 1957-58 का है। काशी और काशी के कण-कण से उनका वास्ता रहा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, मां गंगा का तट, तुलसीघाट, काशी की विश्व प्रसिद्ध मिठाई खाना वह कभी नहीं भूले।

उनका जन्म भले ही ग्वालियर जिले में हुआ हो मगर सर्वविद्या की राजधानी से उनका गहरा नाता था। अपने एक भाषण के दौरान भी उन्होंने इस बात का खुलासा किया था। यह कहना है प्रख्यात साहित्यकार, संपादक स्व. मोहन लाल गुप्ता भइया जी बनारसी के प्रपौत्र राजेश गुप्ता का।

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भइया जी बनारसी अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वाराणसी के सबसे प्रतिष्ठित अखबर ‘आज’ के साहित्य संपादक हुआ करते थे। 1942 में भइया जी बनारसी ने वाराणसी से ‘समाचार’ नामक अखबार का प्रकाशन किया था। राजेश ने बताया कि अटल जी का वाराणसी से बहुत ही गहरा नाता रहा है। वाजपेयी जी ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत वाराणसी से ही की थी। उस जमाने में बनारस से एक अखबार निकलता था जिसका नाम था ‘समाचार’। आधे पैसे की कीमत वाले उस अखबार में तब अटल बिहारी वाजपेयी, नाना जी देशमुख और बाला साहब देवरस जैसे लोग लिखा करते थे। अटल जी ‘समाचार’ अखबार के लिए लेख, यात्रा संस्मरण और रिपोर्ट लिखा करते थे। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी वीर अर्जुन और पांचजन्य के संपादक भी रहे।

राजेश गुप्ता ने बताया कि उत्तर भारत का तब सबसे बड़ा अखबार वाराणसी से निकलने वाला ‘आज’ अखबार हुआ करता था। बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने इस अखबार की नींव रखी थी। उस वक्त स्व. मोहन लाल गुप्ता जिन्हें बनारस में लोग भइया जी बनारसी कहते थे, आज अखबार में साहित्य संपादक थे। भइया जी बनारसी चुन-चुन के इस तरह के उदीयमान और प्रतिभावान लोगों को बुलाकर लाते थे। अटल जी की भी उस दौर की तमाम कविताएं उन्होंने अखबार में छापी थीं।

राजेश गुप्ता के अनुसार अटल जी के राजनीतिक जीवन पर भी काशी के पानी का बहुत बड़ा योगदान है। यही नहीं उस जमाने में काव्य गोष्ठियां हुआ करती थीं, जिसमें अटलजी ना सिर्फ शिरकत किया करते थे, बल्कि बड़ी शिद्दत के साथ अपनी लिखी हुई कविताओं का ओजस्वी पाठ किया करते थे। यही कारण था कि वाराणसी की पुरानी काव्य गोष्ठियां अटलजी के कारण और भी समृद्ध थी।

(रिपोर्ट-ब्रिजेंद्र यादव,वाराणसी)

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