Corona वायरस को हल्के में ले रहा स्वास्थ्य प्रशासन

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फतेहपुर–विश्व मे भारी तबाही मचाने के साथ साथ भारत मे 32 लोगों की मौत और लगभग चौदह सौ लोग corona संक्रमित होने के बावजूद लोग इस वायरस को गम्भीरता से नहीं ले रहे।

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सरकार के बार बार विश्वास दिलाने के बावजूद लाखों की संख्या में मजदूरों के पलायन ने सरकार के ब्यवस्था तंत्र को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है ऐसी स्थिति में लोग यह भी कहने लगे कि सरकार ने लॉकडाउन करने से पहले क्या होमवर्क किया था। क्या सरकार को पता नहीं था कि बॉम्बे, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात आदि में यूपी बिहार व झारखंड का लाखों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर पड़ा है जो प्रत्येक दिन जब काम करता है तब ही कुछ खा पाता है।

माना जा रहा है कि मजदूरों के सामने पलायन के अलावा कोई रास्ता नहीं था। मजदूरों का कहना है कि वायरस से तो बाद में मरेंगे पहले तो भूख ही मार डालेगी। ऐसे में लाखों की संख्या में पलायन कर रहा मजदूर बिना साधन के पैदल ही nh2 हाइवे पर अपने गांव की ओर चलता ही जा रहा है। हालांकि योगी सरकार के सख्त निर्देशो के बावजूद फ़तेहपुर में जिला प्रशासन ऐसे लोगों की कोई खास ब्यवस्था नहीं कर पाया है। कुछ लोगों को छोड़कर जिले में हजारों की संख्या में अन्य प्रदेशों से आये लोग गांवों में बिना जांच के पहुंच गए हैं। जिससे गांवों में भी corona वायरस का खतरा मडराने लगा है। गम्भीर यह है कि अगर यह वायरस गांवों में फैला तो इसको वाकई भारत मे महामारी बनने से कोई नहीं रोक पायेगा। हालांकि फिर भी सैकड़ो की संख्या में दूसरे प्रदेशों से आये जागरूक लोग जिला अस्पताल जांच के लिए पहुंच रहे हैं जिनकी समुचित जांच करने के बजाय सिर्फ उनका नाम व गांव लिखकर पर्चा बनाकर दे दिया जाता है।

दूसरे प्रदेश से आये हुए कई लोगों ने जिले के स्वास्थ्य प्रशासन पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए कहा कि ऐसे corona महामारी के दौर में भी जिले की स्वास्थ्य ब्यवस्था धड़ाम है। किसी तरह की जांच नहीं की जा रही, न ही संदिग्ध लोगों को एडमिट किया जा रहा है। सिर्फ नमक पानी का गरारा करने और 14 दिन अलग रहने को कहकर चलता कर दिया जाता है। लोगों का मानना है कि ऐसे में महामारी को रोकना असम्भव सा नज़र आ रहा है। जबकि जिला चिकित्सालय के कर्मियों जिनसे इस बुरे दौर में सबसे अधिक उम्मीद है वह अपनी जिम्मेदारी में खरे नहीं उतर रहे हैं। स्वास्थ्य टीमें भी गांवों में नहीं पहुंच रही हैं जिससे गांवों में आये हुये लोगों को जांच कर क्वारनटाईन करना सपने जैसा प्रतीत हो रहा है। गांवों में दूसरे प्रदेशों से वापस आये हुए मजदूर 14 दिन तक अलग रहने के बजाय परिवार व मोहल्ले में घुल मिल रहे हैं और घूम रहे हैं जो भविष्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे लोगों की गांव गांव पहुंचकर स्वास्थ्य टीम को corona निगरानी करनी चाहिए। मगर टीमो के न पहुंचने से स्थिति बिगड़ी हुई है जिले में गांवों के अन्य लोग डरे हुए हैं। कई लोग इसकी शिकायत भी अधिकारियो से व 112 नम्बर में कर रहे हैं मगर जिम्मेदारो का इस ओर गम्भीर न होना पूरी प्रशासनिक ब्यवस्था पर गम्भीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है।

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