10वीं का रिजल्ट घोषित: सब्जी वाले का बेटा बना टॉपर

0 645

कोरोना काल के बीच बिहार बोर्ड के मैट्रिक 2020 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. कुल 80.59 प्रतिशत स्टूडेंट्स पास हुए हैं. वहीं परीक्षा में 481 मार्क्स के साथ रोहतास के रहने वाले हिमांशु राज ने टॉप किया है. हिमांशु ने 96.20 प्रतिशत अंकों प्राप्त किए. हिमांशु का सफर इतना आसान नहीं रहा. मुश्किलों का सामना करते हुए हिमांशु ने पढ़ाई की और टॉप किया. वह रोहतास के नटवार के जनता हाईस्कूल के छात्र हैं.

वहीं दूसरे स्थान पर समस्तीपुर के दुर्गेश कुमार (480 मार्क्स) रहे हैं. तीसरे स्थान पर भोजपुर के शुभम कुमार, औरंगाबाद के राजवीर और अरवल की जूली कुमारी ने कब्जा जमाया है.

ये भी पढ़ें..रेलवे बोर्ड के कई अधिकारी कोरोना संक्रमित, पूरा रेल भवन बंद

14 घंटे की पढ़ाई ने हिमांशु दिलाई सफलता…

बता दें कि हिमांशु बेहद गरीब परिवार से हैं और वह अपने पिता के साथ सब्जी बेचते थे. पढ़ने की लगन ऐसी थी कि काम से वक्त निकालकर 14 घंटे हिमांशु पढ़ाई करते थे. हिमांशु सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते है.

दरअसल बिहार बोर्ड में रोहतास जिले के दिनारा प्रखंड के नटवार तेनुअज पंचायत के नटवार बाजार नाम आज इतिहास में दर्ज हो गया. यहां का एक गरीब किसान का बेटा हिमांशु राज ने पूरे बिहार में मैट्रिक के परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया. नटवार के रहने वाले सुभाष सिंह एक किसान हैं और घर पर ही कुछ बच्चों को ट्यूसन पढ़ा कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.

bihar board 10th result 2020 inspiring stories of state toppers ...

Related News
1 of 1,045

सुभाष के दो बच्चे हैं एक बेटी और एक बेटा, दोनों बच्चे बचपन से ही अलग तरह के प्रतिभावान है. बच्चों के शिक्षा को लेकर हमेशा ही सक्रिय रहने वाले सुभाष को ये पता नही था कि उनका बच्चा पूरे बिहार में प्रथम स्थान लेकर जिले सहित गांव, परिवार का नाम रौशन करेगा. बेटे ने वो कर दिखया जो किसी को अंदाजा भी नही था.

बधाई देने वालों का लगा तांता

आज जैसे ही इस खबर को लोगो ने सुना बधाई देने वालों का तांता लग गया. पंचायत के मुखिया, सहित कई जनप्रतिनिधि हिमांशु को हौशला बढ़ाते हुए माता पिता को बधाई देने आए. वहीं पिता ने कहा कि किसान होते हुए भी वे हिमांशू को उसके मंजिल तक पहुचाने में कोई कसर नही छोड़ेंगे.

हिमांशु ने की ये बात…

हिमांशु अपने तैयारी को लेकर कहते हैं कि रोज कम से कम 14 घंटे पढ़ाई करता था. पिता के साथ बड़ी बहन, साथ ही गुरु शिक्षक भी काफी मदद करते थे. मुझे उम्मीद थी कि टॉप 10 में मेरा स्थान आएगा लेकिन ये नही पता था कि बिहार में प्रथम स्थान आएगा.

हिमांशु आगे सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन कर देश की सेवा करना चाहते हैं लेकिन उसमें पिता को आर्थिक कमजोरी भी सामने दिख रही है फिर भी वो अपने प्रतिभा और लगन पर भरोषा कर मुकाम को हासिल करने में लगे हैं.

ये भी पढ़ें..IAS ट्रांसफर मामले में दर्ज FIR की सीबीआई जाँच की मांग

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...