गीता प्रेस ने अब इस नए रूप में उतारी श्रीमद्भगवद् गीता

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गोरखपुर– गोरखपुर से उर्दू में श्रीमद्भगवद् गीता तो पंद्रह साल पहले प्रकाशित हो चुकी है। इसे मुस्लिम समाज ने हाथों-हाथ लिया। अब गोरखपुर स्थित गीता प्रेस श्रीमद्भगवद् गीता को फिर से एक नए रूप में प्रकाशित करने जा रहा है।

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इसकी लिपि देवनागरी और भाषा (शब्द) उर्दू होगी । इस रूप में पूरी गीता कंपोज हो चुकी है, प्रूफ रीडिंग का कार्य समाप्त हो चुका है। संपादन की प्रक्रिया चल रही है। गीता प्रेस प्रबंधन को उम्मीद है कि अगले माह यह पुस्तक पाठकों के हाथ में पहुंच जाएगी। 

कम कीमत पर श्रीमद्भगवद् गीता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गोरखपुर में 1923 में गीता प्रेस की स्थापना हुई। आज गीता प्रेस कुल 15 भाषाओं में धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करता है। अभी तक गीता का प्रकाशन 14 भाषाओं में हो चुका है। पंद्रहवीं भाषा नेपाली में अभी काठमांडू में अनुवाद का कार्य चल रहा है। 31 मार्च 2017 तक विभिन्न भाषाओं व विभिन्न संस्करणों की गीता की बिक्री 13 करोड़ 10 लाख हो चुकी है। उर्दू में गीता का प्रकाशन पहली बार 2002 में हुआ था। उस समय उर्दू में गीता की कुल छह हजार प्रतियां प्रकाशित हुई थीं। इसके बाद 2010 में दो हजार और 2016 में दो हजार प्रतियां प्रकाशित की गईं। अब गीता को ऐसे रूप में प्रकाशित करने जा रहा है जिसकी लिपि देवनागरी होगी और भाषा उर्दू। इसमें शब्द उर्दू के होंगे लेकिन लिखे गए होंगे देवनागरी में । लगभग अपनी सभी पुस्तकों में प्रथम पेज पर इस श्लोक ‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव र्सव मम देव देवम’ को जगह देता है। देवनागरी लिपि व उर्दू भाषा में प्रकाशित होने वाली गीता के प्रथम पेज पर इसकी जगह ने ‘फ़जले रहमान है तो क्या डर है, हक निगहबां है तो क्या डर है। जिसकी किश्ती का नाख़ुदा खु़द ख़ुदा है, तो लाख तूफ़ान है तो क्या डर है। ’ को जगह दी है। 176 पेज की यह पुस्तक अब छपने को लगभग तैयार है। पहले संस्करण में तीन हजार पुस्तकें प्रकाशित करने का लक्ष्य रखा गया है। पुस्तक की चौड़ाई लगभग 5.5 इंच व लंबाई लगभग 8 इंच होगी। 2002 में गीता उर्दू में प्रकाशित की गई थी, उसका अनुवाद उर्दू में था। उसे वही लोग पढ़ सकते हैं जो उर्दू भाषा जानते हैं। देवनागरी लिपि व उर्दू भाषा में गीता के प्रकाशन का उद्देश्य यह है कि उन लोगों तक भी गीता का संदेश पहुंच सके जो लोग उर्दू नहीं जानते हैं लेकिन उर्दू जबान जानते व बोलते हैं और देवनागरी लिपि में पढ़ व समझ सकते हैं। 

रिपोर्ट-गौरव मिश्रा , गोरखपुर  

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