महिला थाने की पूर्व कोतवाल को हुई तीन वर्ष की कैद

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सीतापुर – मासूम के साथ रेप केस की विवेचना के दौरान आरोपी को बचाने के लिए केस में छेड़छाड़ कर फाइनल रिपोर्ट लगाना तत्कालीन महिला थाने की थानाध्यक्ष इंदू श्रीवास्तव चौबे को मंहगा पड़ गया।

 

अपर सत्र न्यायाधीश सूर्य प्रकाश शर्मा ने थानाध्यक्ष सहित रेप के मुख्य आरोपी को दोषी पाते हुए क्रमशः तीन वर्ष व दस वर्ष के कठोर कारावास व अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।

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इस मुकदमे की पैरवी अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी आफान हसन सिद्दीकी ने की। जानकारी के मुताबिक संदना थाना क्षेत्र के एक गांव की महिला ने 25 सितम्बर 2009 को पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर गांव के ही हरिश्चन्द्र पर अपनी आठ वर्षीय बेटी के साथ रेप किये जाने का आरोप लगाया था। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर संदना थाने में हरिश्चन्द्र के विरुद्ध धारा 376 आईपीसी में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। वहीं इसकी विवेचना तत्कालीन महिला थाने की थानाध्यक्ष इंदू श्रीवास्तव चौबे को सौंपी गई थी।

थानाध्यक्ष ने आरोपी को बचाने के लिए पूरा मामला ही बदल दिया। उन्होंने बच्ची पर बैल के द्वारा हमला कर देने से उसके गुप्तांग पर चोट आना दर्शाकर केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। जबकि मेडिकल रिपोर्ट में गुप्तांग में शुक्राणु पाए गए थे। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फाइनल रिपोर्ट को अस्वीकृत कर थानाध्यक्ष को तलब कर उसे धारा 217 व 218 आईपीसी में आरोपी बनाकर पत्रावली सत्र न्यायाधीश को निर्णीत करने के लिए भेज दी थी। न्यायाधीश ने इस मामले की सुनवाई के उपरांत थानाध्यक्ष को दोषी पाते हुए तीन वर्ष के कठोर करावास की सजा सुनाई है। वहीं मुख्य आरोपी के विरुद्ध दस वर्ष के कठोर कारावास व दस हजार रुपये अर्थदन्ड का आदेश पारित किया है। अर्थदण्ड अदा न करने पर अभियुक्त को छह माह का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा।

रिपोर्ट- सुमित बाजपेयी

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