सावधान! Social मीडिया पर भड़काया तो आजीवन कैद तक की सजा

0 19

लखनऊ: अगर कोई शख्स दो समूहों या वर्गों के बीच Social मीडिया पर नफरत फैलाने के लिए कोई रिपोर्ट या स्टेटमेंट जारी करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा-505 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें-Lockdown नहीं होने पर भारत में इटली जैसे होते हालात, ICMR की रिसर्च में खुलासा

Social मीडिया पर ऐसी अफवाह की वजह से आईटी एक्ट 2000, आईटी एक्ट 2008 (एमेंडमेंट) के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसमें पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है |

कौन-कौन से मामले इसके अंतर्गत आते हैं –

Social मीडिया पर अफवाह फैलाने/ फेक न्यूज़ के मामले, यानि की जो तथ्य या घटना है ही नहीं, जो असत्य है। उसे समाज में सोशल मीडिया के माध्यम जैसे कि फेसबुक, ट्विटर, टिक टॉक, व्‍हाट्सएप, इंस्टाग्राम, अन्य मैसेजिंग एप्स आदि से सरकार की नीति-नियमों को तोड़ –मरोड़कर पेश करना।

यह भी पढ़ें-उज्ज्वला ग्राहकों के बैंक खाते में रिफिल हेतु 3 माह तक आयेगी धनराशि

Related News
1 of 993

Social मीडिया पर अशांति फैलाने के उद्देश्य से किए गए मैसेजेस/ वीडियो सन्देश/फोटोग्राफ़ , ऑडियो मैसेजेस , चैट्स, ईमेल आदि को फैलाना शामिल है।

कौन कौन से एक्ट के तहत दर्ज होगी FIR –

Social मीडिया पर नफरत फैलाने के लिए कोई रिपोर्ट या स्टेटमेंट जारी करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा-505 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।

• डाटा या आंकड़ों को गलत तरीके से पेश करना-धारा 71
• आपसी विश्वास और निजता को भंग करने से संबंधित प्रावधान-धारा 72 ए
• आपत्तिजनक सूचनाओं के प्रकाशन से जुड़े प्रावधान-धारा 67
• किसी की निजता भंग करने के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 ई

यह भी पढ़ें-किसानों से 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदेगी यूपी सरकार, ओला-ऊबर की तरह मिलेंगे ट्रैक्टर

• साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 एफ
• आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 और आईपीसी (IPC) की धारा-505

यह भी पढ़ें-Lockdown: कटाई के लिए नहीं मिल रहे मजदूर, पकी फसल को आवारा गौवंश कर रहे चट

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...