भारत के इस कदम से चीन को जाएगा कड़ा संदेश…

निमंत्रण के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।

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प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ हिंद महासागर में परेशानी का सबब बने चीन को रोकने के लिए चार बड़ी शक्तियां पहली बार मालाबार में साथ आने को तैयार हैं। इस साल के मालाबार नौसैनिक युद्धाभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया को जल्द ही भारत का न्योता मिल सकता है।

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इसके साथ ही पहली बार अनौपचारिक रूप से बने क्वॉड ग्रुप को सैन्य मंच पर देखा जाएगा। इसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ जापान और अमेरिका शामिल हैं। अभी तक भारत ने ऑस्ट्रेलिया को इससे अलग रखा था लेकिन लद्दाख में सीमा पर चीन की हरकत को देखते हुए उसे भी बुलाने का प्लान है।

अभी तक सीमित था Quad-

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले हफ्ते तक ऑस्ट्रेलिया को औपचारिक रूप से निमंत्रण के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। मालाबार पहले एक सीमित नौसैनिक युद्धाभ्यास हुआ करता था लेकिन अब इंडो-पैसिफिक रणनीति का अहम हिस्सा है। इसके तहत हिंद महासागर में चीन के बढ़ते कदमों को रोकना एक बड़ा लक्ष्य है। जापान इससे 2015 में जुड़ा था।

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चीन को जाएगा कड़ा संदेश-

भारत ने 2017 में ऑस्ट्रेलिया को इसमें शामिल करने से यह सोचते हुए रोक दिया था कि पेइचिंग इसे Quad के सैन्य विस्तार के तौर पर देख सकता है लेकिन सीमा पर बढ़ी तनातनी और चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए आखिरकार भारत ने अपना रुख कड़ा कर लिया है। रिपोर्ट में वॉशिंगटन आधारित RAND कॉर्पोरेशन के डेरेक ग्रॉसमेन के हवाले से कहा गया है, ‘इससे चीन को एक अहम संदेश जाएगा कि Quad वास्तव में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास कर रहा है। भले ही इसे Quad के इवेंट के तौर पर तकनीकी रूप से आयोजित न किया जा रहा हो।’

भारत के लिए जरूरी क्षेत्रीय-वैश्विक ताकतों का साथ-

लद्दाख में हिंसा से पहले भारत ने अपने सबसे बड़े ट्रेड-पार्टनर चीन के साथ अपने संबंध संतुलित रखने की कोशिश की और दूसरी ओर अमेरिका जैसे देशों के साथ भी संबंध मजबूत किए। रिपोर्ट में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके जी. पार्थसार्थी ने कहा है, ‘चीन पर हमारे द्विपक्षीय आर्थिक प्रतिबंध जरूरी हैं लेकिन हमें याद रखना होगा कि चीन पर असर तभी डाला जा सकता है जब हम क्षेत्रीय और वैश्विक ताकतों के सहयोग से काम करें।’

Quad को मजबूत करना है अहम-

पूर्व विदेश सचिव और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो श्याम सरन के मुताबिक Quad को मजबूत न करने से चीन को ही फायदा होगा। उन्होंने कहा है कि जब तक चीन को अलग-अलग पक्षों से आए निर्देश का पालन करने के लिए राजी किया जाता है, तब तक इंडो-पैसिफिक रणनीति को पेइचिंग की ताकत के जवाब में इस्तेमाल करना होगा और Quad इसके केंद्र में होगा। उनका कहना है कि भारत को इस बारे में साफ समझना होगा कि उसका हित कहां है।

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