राजधानी में सक्रीय जल माफियाओं के आगे बौना बना प्रशासन

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लखनऊ — राजधानी लखनऊ के थाना आशियाना के किले गांव का है जहां लगभग डेढ़ दशक से गांव के ही चार से पांच परिवार अवैध बोरिंग के जरिये पानी को टैंकरों के माध्यम से बेचते चले आ रहे हैं , अवैध रूप से घर से बोरिंग के जरिये पानी को व्यवसायिक रूप से बेचकर आज ये सभी लोग अकूत धन के और ट्रैक्टर और टैंकरों के मालिक हैं ।

 

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सूत्रों की माने तो नगर निगम , जल संस्थान की मिलीभगत से ये खेल यूंही बरसों से लगातार चल रहा है कई बार इसकी लिखित और मौखिक शिकायत भी की गई लेकिन प्रशासन की मिलीभगत और जल माफियाओं की दबंगई के आगे कोई कार्यवाही नहीं हो सकी ।वहीं लोगों का कहना है कि वैसे तो किला गांव में अनेक जगहों पर घरों में बोरिंग हो रखी है मगर इसका व्यवसायिक इस्तमाल पर दोहन पर्यावरण के लिहाज से भी घातक साबित होगा । इसको रोकने के लिए एनजीटी ने भी कड़े प्रावधान की व्यवस्था और मानक तय किये हैं लेकिन प्रशासनिक भ्रष्टाचार के कारण इस पर किसी तरह का कोई लगाम नहीं लग सका उल्टे ये धंधा डेढ़ दशकों में और बढ़ा ही है ।

इस विषय पर जब जल संस्थान के अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में है लेकिन जिलाधिकारी ही इस पर कुछ करेंगे ।नगर निगम के ज़ोन अधिकारी विनय सिंह ने बोला कि उनको इस विषय पर कोई जानकारी ही नहीं है । वहीं इस विषय पर जब जिलाधिकारी कौशल राज सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला यूपी समाचार के माध्यम से संज्ञान में लाया गया है और इसपर उचित कार्यवाही जाँच के बाद की जाएगी ।

 

रिपोर्ट-अंशुमान दुबे,लखनऊ

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