थप्पड़ से लगी चोट के कारण मिलने लगे थे निगेटिव रोल

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मनोरंजन डेस्क– हिंदी फिल्मों की सबसे खतरनाक सास के तौर पर मशहूर हुई एक्ट्रेस ललि‍ता पावर ने अपने करियर में कई बेहतरीन फ़िल्मों में अपना अभिनय दिखाया। वही  ललिता पवार अपने आखि‍री समय में अकेली रहीं। उनका जन्म 18 अप्रैल 1916 को नासिक के एक धनी व्यापारी लक्ष्मणराव सगुन के घर में हुआ।

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लेकिन उनका जन्म स्थान इंदौर माना जाता है। 18 रुपये की मासिक पगार पर ललिता ने बतौर बाल कलाकार मूक फिल्म में काम किया था. 1927 में आई इस फिल्म का नाम था ‘पतित उद्धार’ फिल्मी पर्दे पर उन्हें सबसे क्रूर सास का दर्जा मिला। हालांकि कुछ सॉफ्ट रोल भी उनके खाते में रहे लेकिन असल पहचान उन्हे नेगटिव किरदारों से ज्यादा मिली। ललिता पवार की एक आंख हादसे में चली गई थी। ये हादसा फिल्म की शूटिंग के दौरान ही हुआ था।

ललिता पवार एक आंख के जाने के बाद ही वैम्प के रोल में आई थीं। इससे पहले वह बॉलीवुड में हीरोइन बनना चाहती थीं। लेकिन उनकी आंख कैसे चली गई ये घटना भी फिल्मों से जुड़ी है। 1942 में आई फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के सेट पर एक सीन की शूटिंग के दौरान हादसे की वजह से उनकी आंख में चोट लग गई। जिससे उनका हीरोइन बनने का सपना हमेशा के लिए टूट गया।

भगवान दादा ने मारा था थप्पड़

दरअसल, अस्सी के दशक के प्रसिद्ध अभिनेता भगवान दादा को इस सीन में अभिनेत्री ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। थप्पड़ इतनी जोर का पड़ा कि ललिता पवार वहीं गिर पड़ीं और उनके कान से खून बहने लगा। जिसके बाद फौरन सेट पर ही इलाज शुरू हो गया। इसी इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा दी गई किसी गलत दवा के नतीजे से ललिता पवार के शरीर के दाहिने भाग को लकवा मार गया। लकवे की वजह से उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और उनकी सूरत हमेशा के लिए बिगड़ गई।

एक अच्छी सिंगर भी थी

लेकिन आंख खराब होने के बावजूद भी ललिता पवार ने हार नहीं मानी। उन्हें फिल्मों में हिरोइन का रोल नहीं मिलता था लेकिन यहां से उनकी जिंदगी में एक नई शुरुआत हुई। हिंदी सिनेमा की सबसे क्रूर सास की। वैसे बहुत कम लोग जानते हैं कि ललिता पवार अच्छी सिंगर भी थीं। 1935 की फिल्म ‘हिम्मते मर्दां’ में उनका गाया ‘नील आभा में प्यारा गुलाब रहे, मेरे दिल में प्यारा गुलाब रहे’ उस वक्त काफी लोकप्रिय हुआ था।

रामायण में मंथरा के रोल को दर्शको ने काफी पंसद किया

ललिता पवार ने रामानंद सागर की रामायण में मंथरा का रोल भी किया था, जिसको दर्शको ने खूब सराहा। 32 साल की उम्र में ही वह करैक्टर रोल्स करने लगी थीं। 1990 में ललिता पवार को जबड़े का कैंसर हुआ जिसके बाद वो अपने इलाज के लिए पुणे गईं। कैंसर की वजह से न सिर्फ उनका वजन कम हो गया, बल्कि उनकी याददाश्त भी कमजोर होने लगी जिस के कारण 24 फरवरी 1998 को हिंदी फिल्मों की सबसे क्रूर सास अभिनेत्री ललिता पवार का निधन हो गया।

 

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