तराई में बदलते मौसम से थमी चार मासूमों की सांसें, तीन की हालत गंभीर

0 24

बहराइच — तराई में बदल रहे मौसम के बीच नन्हें-मुन्हों की जिंदगी मुश्किल में पड़ रही है। बुधवार को जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में भर्ती निमोनिया व डायरिया पीड़ित चार मासूमों की सांसें थम गईं। परिवारीजन रोते-बिलखते शव लेकर घर चले गए हैं। उधर बुखार व अन्य संक्रामक बीमारियों से ग्रसित 26 और रोगी भर्ती हुए हैं।

इनमें तीन रोगियों की हालत नाजुक बताई जा रही है। इनमें दो मासूमों की हालत अधिक नाजुक होने पर डॉक्टरों ने उन्हें केजीएमयू लखनऊ रेफर कर दिया है।तराई में मौसम परिवर्तन तेजी से हो रहा है। ऐसे में नन्हें-मुन्हों की जिंदगी के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं। निमोनिया और डायरिया पैर पसार रहे हैं। तनिक सी लापरवाही या अनदेखी पर नन्हें-मुन्हें बुखार की चपेट में आ रहे हैं। बुधवार को निमोनिया से ग्रसित गुरुदासपुरवा निवासी अमन (8माह) पुत्र रामधीरज को परिवारीजनों ने जिला अस्पताल पहुंचाकर भर्ती कराया। लेकिन यहां इलाज शुरू होते ही अमन ने दम तोड़ दिया। वहीं हरदी के रमपुरवा निवासी सावित्री (6) पुत्री भगौती को भी तेज बुखार व निमोनिया के साथ डायरिया की शिकायत पर जिला अस्पताललाकर भर्ती कराया गया था।

Related News
1 of 103

यहां पर इलाज के दौरान बुधवार दोपहर में उसकी तबियत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने काफी कोशिश की, लेकिन सावित्री की जिंदगी बचायी नहीं जा सकी। उधर कोतवाली देहात के इमलिया निवासी वंदना (6) पुत्री इंद्राज ने भी निमोनिया और डायरिया की चपेट मेंहोने से इलाज के दौरान दम तोड़ा। जबकि फखरपुर के खपुरवा निवासी ननकू के नवजात पुत्र ने तेजबुखार व संक्रमण के चलते दम तोड़ दिया। वहीं विभिन्न संक्रामक रोगों से ग्रसित और 26 रोगी भर्ती हुए हैं। इनमें दरगाह के सलारगंज निवासी मोहम्मद उमर (9), फखरपुर के अकबरपुर निवासी सायमू (3) और महसी निवासी मुन्ना (2) की हालत नाजुक बताई जा रही है। मोहम्मद उमर और सायमू की स्थिति गंभीर देखकर डॉक्टरों ने दोनों मासूमों को केजीएमयू लखनऊ रेफर कर दिया है।

नाजुक हालत में आए थे मरीज

जिला अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केके वर्मा ने बताया कि अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले चारो मासूमों को परिवारीजन काफी हालत में लेकर जिला अस्पताल आए थे। काफी कोशिश की गई, लेकिन उनकी जिंदगी नहीं बचायी जा सकी। मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. पीके टंडन का कहना है कि अभिभावक सर्दी, जुकाम और बुखार जानकर पहले स्थानीय डॉक्टरों से इलाज कराते हैं। फिर हालत बिगड़ने पर जिला अस्पताल लाते हैं। जिससे मुश्किलें होती हैं।

रिपोर्ट-अनुराग पाठक,बहराइच

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments
Loading...