बुजुर्ग दंपत्ति की गुहार – ‘साहब हम जिंदा है’

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प्रतापगढ़– सूबे में योगी राज कायम होते ही बड़े जोरशोर से भूमाफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्यवाही की घोषणाएं की गई इसके लिए सरकार ने एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स भी गठित की गई। लेकिन ये दावे कागजी और हवाहवाई साबित हुए।

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मामला है रानीगंज तहसील के खाखापुर गांव का जहा के रहने वाले दम्पत्ति बंशीलाल और उसकी पत्नी लखपत्ती जो कि दलित बिरादरी के है और ये जीवन के अंतिम पड़ाव पर है लेकिन अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहे है और इनके हांथो में तख्ती है जिस पर लिखा है साहब हम दोनों जिंदा है। ये पिछले पांच वर्षों से खुद के जिंदा होने का दावा करते फिर रहे है लेकिन इनकी आवाज नक्कार खाने में तूती की आवाज की तरह दब कर् रह गई है। हर तहसील दिवस और हर सम्भावित जगह दस्तक दे चुके इस दम्पत्ति की सुनने वाला कोई नही है।

लखपत्ती को गांव में ही लंबे सड़क अट्ठाइस फरवरी सन उन्नीस सौ छिहत्तर में गाटा संख्या बारह सौ बासठ में जमीन का एक टुकड़ा सरकार नीतियों के तहत पट्टा दिया गया जिसके बल पर इनके जीवन की गाड़ी चल निकली लेकिन इस आराजी पर भूमाफियों की नजर इस लिए गड़ गई क्योकि ये जमीन का टुकड़ा मुख्यमार्ग पर था और राजस्व विभाग के अभिलेखों में भूमाफिया अधिकारी और कर्मचारी मिलकर खेल कर दिए और अभिलेखों में मृत दिखा दिया। पांच साल पहले बंशीलाल जब तहसील से उक्त जमीन की खतौनी लेने लेखपाल के पास पहुचा तो उसे उसे जो बताया गया उसको सुनकर बंशीलाल के पैरों तले की जमीन खिसक गई। उसे बताया गया कि तुम दोनों तो मर चुके हों ऐसा अभिलेखों में दर्ज है और ये जमीन दूसरे को पट्टे पर दी जा चुकी है। उसके बाद से ही दोनों खुद के जिंदा होने सबूत लिए दरदर भटक रहे है लेकिन कही कोई सुनने वाला नही है।

रिपोर्ट- मनोज त्रिपाठी, प्रतापगढ़  

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