“यूपी समाचार” स्पेशल :यह बेटी मां- बच्चे की जान बचाने में खुद समा गयी नदी की तेज धारा में

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न्यूज़ डेस्क–भारत में बच्चों को दिया जाने वाला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार सबसे सम्मानित पुरस्कार माना जाता है। “यूपी समाचार” वर्ष 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सम्मानित होने वाले बच्चों के बारे में आपको रूबरू करवाने जा रहा है। इसी कड़ी में आज हम लोकरकपाम राजेश्वरी की वीरता भरी कहानी बताने जा रहे हैं। 

 मणिपुर की लोकरकपाम राजेश्वरी चनु ने बचाई थी मां और उसके बच्चे की जान :

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इस बार राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले बहादुर बच्चों के नाम की घोषणा हो चुकी है। इस बार ये पुरस्कार 18 बच्चों को दिया जा रहा है जिनमें 11 लड़के और 7 लड़कियां शामिल हैं और इनमे एक नाम है ‘लोकरकपाम राजेश्वरी चनु’। 

राजेश्वरी एक बेटी ; जिसने एक मां- बच्चे की जान तो बचा ली लेकिन खुद ही अपने माता – पिता से हमेशा – हमेशा के जुदा हो गयी। मणिपुर की इस 14 साल की बहादुर बेटी लोकरकपाम राजेश्वरी चनु भी इतिहास में दर्ज हो चुकी है। राजेश्वरी ने एक जीर्ण पुल से इंफाल नदी में गिर रही मां और उसके बच्चे को बचाया था। इस बचाव प्रयास में राजेश्वरी खुद नदी की तेज धारा में समा गई। दरअसल, इंफाल नदी पर बने हुए एक पुल से मां और उसका छोटा सा बच्चा गुजर रहे थे। पुल की हालत बेहद खराब थी, तभी पुल टूट गया। राजेश्वरी ने उस पुल से नीचे गिर रही मां और उसके बच्चे दोनों को बचा लिया, लेकिन वो खुद इंफाल नदी की तेज धारा में समा गई। बता दें राजेश्वरी को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जा रहा है। राजेश्वरी की जगह वीरता पुरस्कार लेने जाने वाले उसके पिता का कहना है कि क्रोधित गांववालों ने ‘अरुंग पुल’ को जला डाला पर सरकार ने अबतक नया पुल नहीं बनाया है। 

 

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