कोरोना संकट में दारोगा को नहीं मिला सही इलाज, मौत

थाना संग्रामपुर ग्राम धौराहारा निवासी सुनील कुमार सिंह की पोस्टिंग सीतापुर सदरपुर में थी

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देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना से जंग में इस वक्त पुलिस ( inspector), स्वास्थ्य कर्मी और सफाई कर्मचारी लोगों की हिफाजत के लिए अपनी जान की परवाह किए बगैर दिन- रात ड्यूटी में लगे हुए हैं, ऐसे में जब इन कर्मवीरों को कुछ होता है और यही सिस्टम उनकी मदद के लिए तैयार नहीं होता है। तो दुख होता।

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एक ऐसा ही एक चौकाने वाला मामला राजधानी लखनऊ में सामने आया है। यहां सीतापुर में सही इलाज न मिलने के कारण एक दरोगा ( inspector) सुनील कुमार सिंह की मौत हो गई। मृतक के बेटे का आरोप है कि वह एक अस्पताल से दूसरी अस्पताल अपने पिता (दारोगा सुनील कुमार सिंह) को लेकर भटकता रहा लेकिन कोरोना के खौफ में सरकारी अस्पताल से लेकर प्राइवेट अस्पताल तक में उन्हें जगह नहीं मिली। जिससे उनकी बुधवार सुबह 4 बजे मौत हो गई।वहीं दारोगा सुनील कुमार सिंह मौत पर परिवार में कोहराम मचा हुआ है। बेटा और पत्नी सरकार और स्वास्थ्य महकमे पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

 थाना सदरपुर में थे तैनात 

दरअसल मृतक दारोगा ( inspector) सुनील कुमार सिंह सीतापुर जिले के थाना सदरपुर में तैनात थे। वह सीतापुर में अकेले किराए के मकान में रहते थे। सोमवार सुबह बेटा प्रभात सिंह उन्हें तकरीबन 10 बजे फोन किया तो उनका फोन नहीं उठा। बेटे ने कई बार घंटी की लेकिन जब फोन रिसीव नहीं हुआ तो वह सोचा पिताजी ड्यूटी करके आए होंगे अभी सो रहे होंगे। कुछ समय बीतने के बाद भी जब दोबारा उन्हें फोन किया और नहीं उठा तो उसने उनका खाना बनाने वाले फॉलोवर को फोन किया तो वह कमरे पर गया लेकिन बेटे को कुछ नहीं बताया।

एसएचओ ने दी जानकारी
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दरोगा के बेटे ने बताया कि एक घंटे बाद एसएचओ दिनेश सिंह का फोन आया कि तुम्हारे पिताजी की तबीयत खराब है आप लोग जल्दी लखनऊ आ जाओ। पिता की बीमारी की बात सुनते बेटे को सदमा लगा और वह घरवालों के साथ लखनऊ पहुंचा तो वहां केजीएमयू के लारी पर एम्बुलेंस खड़ी थी, लेकिन उन्हें वहां भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद वे लोग दारोगा को लेकर डिवाईन अस्पताल पहुंचे। जहां उनका ईसीजी हुआ और फिर वहां के डॉक्टर बोले जहां कार्डियो और न्यूरो दोनों हो वहां इन्हें लेकर जाइए।

इसके बाद मंगलवार रात 2 बजे उन्हें सहारा अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां उनकी स्थिति सुधरी रही थी लेकिन बेवजह KGMU शिफ्ट करने की बात कही। फिर दोपहर में उन्हें केजीएमयू लेकर गए मगर कोरोना को लेकर इलाज की बात कह कर परिवार को टरकाया गया और लोहिया अस्पताल रेगर कर दिया गया।

PGI में सुबह 3 बजे हुई मौत

दोपहर 1 बजे दारोगा को लोहिया लेकर जाया गया जहां उनके दारोगा भाई की बिनती पर इमरजेंसी में भर्ती किया गया। फिर मेदांता अस्पताल गए वहां ECG और और वेंटिलेटर पर ले जाने की बात कही। लेकिन फिर PGI न जाकर लोहिया अस्पताल में लाये लेकिन हीलाहवाली की देरी होने पर बुधवार को दारोगा की सुबह 3 बजे मौत हो गयी।

अब यहां सवाल ये उठता है कि एक सब इंस्पेक्टर जो जिंदगी और मौत से जूझ रहा था अगर उसे किसी अस्पताल में समय रहते इलाज मिल गया होता तो आज शायद वो जिंदा होते, लेकिन कोरोना महामारी के चलते एक दारोगा की मौत हो गई। जो वाकई एक सोचने वाली बात है।

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