Corona: कहीं अधिकारियों की आखों में धूल तो नहीं झोंक रहे अधीनस्थ ?

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फ़तेहपुर: Corona वायरस के संक्रमण के असर से मजदूर व गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोग अधिक प्रभावित हुए हैं। इस कारण अंत्योदय कार्डधारकों व मनरेगा मजदूरों के परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

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गरीबों व मजदूरों को परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए अप्रैल माह में 35 किलो राशन मुफ्त दिया जाना है जिसमे उन्हें 20 किलो गेहेू व 15 किलो चावल कोटे की दुकानों से मुफ्त दिया जाना है। शासन के निर्देश पर इन मजदूरों को राशन सामग्री दिए जाने के लिए आपूर्ति विभाग को निगरानी भी करनी है। इसके लिए गांव कस्बों में कोटे की दुकानों में तैयारी तेज करा दी गई। इसके लिए जनपद फ़तेहपुर में भी जिलाधिकारी द्वारा जिले के कोटेदारों को निर्देशित किया गया है कि सभी कोटेदार शासन के निर्देशानुसार अंत्योदय और मनरेगा मजदूरों को मुफ्त में राशन देंगे और लोगों से पहले की तरह निर्धारित मूल्य लेंगे, पूरा राशन देंगे और सरकार के निर्देशों का पालन करेंगे, घटतौली और अनियमित्ता को बर्दास्त नही किया जाएगा। Corona संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के कारण कामकाज से वंचित मनरेगा मजदूरों से राशन के लिए अब रुपये नही देने होंगे।

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Corona वायरस के संक्रमण के असर से जनपद फ़तेहपुर के अधिकतर कोटेदरों में कोई खास सुधार होता नही दिख रहा है। अधिकतर कोटेदारों पर घटतौली का आरोप लगता रहा है। वहीं सरकार के आदेश के बाद भी जनपद के कई कोटेदार अपने पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं उनको सरकार व जिला प्रशासन के आदेशों, निर्देशों से कोई मतलब नही लगता है। आज फ़तेहपुर की सदर कोतवाली के ढकौली गांव में प्रधान प्रतिनिधि के अनुसार राशन वितरण में धांधली को लेकर दो पक्षों में जमकर लाठी डंडे चले हैं।

मनीपुर सेमरिया गाँव के कोटेदार पर मनरेगा मजदूरों से राशन के बदले रुपये लेने का मनरेगा मजदूरों ने आरोप लगाया है। वहीं Corona वायरस के संक्रमण के असर से बहुआ के बनरसी गाव के कोटेदार का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे कोटेदार अधिकारी को पांच हजार रुपये घूस देने की बार-बार बात कह रहा हैं और कोटेदार राशन की बोरियों में गल्ला कम होने की बात भी कह रह है। ये कितना सच है कितना नही ये तो कोटेदार और वो अधिकारी ही जाने, पर इसमें उन गरीबों का क्या दोष है जिन्हें कोटों से राशन कम दिया जाता है जबकि सरकार द्वारा उन्हें उनका पूरा हक देने का निर्देश दिया गया है, तो आखिर सरकारी आदेश का पालन होने में कहा कमी रह जाती है।

यह जिला प्रशासन के लिए विचारणीय प्रश्न है। कही ऐसा तो नही कि जिलास्तरीय अधिकारियों की आँखो में उनके अधिनस्थों द्वारा धूल झोंकी जा रही है।

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