UPPCL में छिड़ी वर्चस्व की जंग, लखनऊ के शक्ति भवन में सब कुछ ठीक नहीं

UPPCL यानि लड़ाई वर्चस्व की: IAS v/s NON IAS

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लखनऊ–आज देश ही नही पूरा विश्व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने जबरदस्त तबाही मचा रखी है। इसी संकट के दौर मे UPPCL मे वर्चस्व की लड़ाई की जंग साफ नजर आ रही है।

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इस वक्त पूरा देश अपने प्रधानमंत्री के साथ एक जुट होकर कोरोना को देश भगाने और कोरोना को हराने के लिये प्रधानमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशो पर जनता कर्फ़्यू लॉक डाउन जैसे दौर से गुजर रहा है पर इसी संकट के दौर मे उ प्र को बिजली से रोशन करने वाले उ प्र पावर कार्पोरेशन के मुख्यालय मे वर्चस्व की लड़ाई की जंग साफ नजर आ रही है। सूत्रो के हवाले की खबरो के अनुसार इस शक्ति के शक्ति भवन की ऊची इमारत मे सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है जबकि यहा प्रदेश के ऊर्जा मंत्री, चेयरमैन, MD UPPCL सहित प्रदेश स्तर के सभी प्रमुख्य अधिकारी इसी शक्ति भवन से पूरे प्रदेश के करोड़ो उपभोक्ताओं की विद्युत व्यवस्था के लिये आदेश एवं निर्देश जारी किया करते है। पर देश प्रदेश कोरोना से लड़ रहा है और इस शक्ति भवन मे वर्चस्व को लेकर एक जबरदस्त युद्ध छिड़ा होने की खबर आ रही है हमारे विश्वस्त सूत्र बताते है कि प्रबंध निदेशक UPPCL ने एक डायरेक्टर के कहने पर पूरे UPPCL को चलाने के किसी पॉलिसी मैटर पर एक मत न होने के कारण बात ईगो की फॅस गयी ना तो निदेशक वित्त अपनी बात से पीछे हटने को तैयार थे और ना प्रबंध निदेशक देव राज ही।

खैर इसी ठना ठनी मे uppcl के निदेश वित्त सुधीर कुमार आर्य ने अपने पद से इस्तीफा लिखकर प्रमुख सचिव ऊर्जा/चेयरमैन को सौप दिया है। जिसे लेकर पूरे उ प्र पावर कार्पोरेशन मे भगदड़ का माहौल व्याप्त हो गया वैसे तो लोग लगे है निदेशक वित्त को मनाने मे कि वो अपना इस्तीफा वापस लेले । लेकिन बिना गलती के बेज्जत होना निदेशक वित्त को मन्जूर नही है और वो स्वाभिमानी व्यक्ति अपने लिए हुए फैसले से एक इच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। वैसे DHFL द्वारा कर्मचारियों के भविष्यनिधि के घोटाले के खुलासे के कुछ वक्त पूर्व ही निदेशक वित्त ने कार्यभार संभाला था । सूत्रों की बात पर विश्वास किया जाए तो DHLF घोटाले को खोलने मे निदेशक वित्त का बहुत बडा हाथ है और उस संकट के वक्त मे घोटाले और कर्ज के मर्ज से दम तोड़ते uppcl की तमाम वित्तीय चुनौतियो को संभालने मे निदेशक वित्त ने अहम भूमिका निभाई थी।

ठीक उसी वक्त uppcl मे प्रशासनिक सेवा के एक बेहद ईमानदारी व तेज तर्रार अधिकारी एम देवराज ने प्रबंध निदेशक पद का कार्यभार संभाला था 24 साल मे 48 स्थानांतरण और उसी देवराज ने uppcl मे कदम रखा था । देवराज एवं निदेशक वित्त दोनो अधिकारियों की ईमानदार छवि ने उ प्र सरकार एवं uppcl के चेयरमैन की मंशा के अनुरूप डूबते कार्पोरेशन को संभालने मे कोई कोर कसर नही छोड़ी। सूत्र यह भी बताते है कि uppcl की प्रशासनिक एवं वित्तीय संकट से उबारने मे इन अधिकारियों की जुगल बन्दी ने उन भ्रष्टाचारियों के चैन की नीद थी उसे हराम कर दिया था पर कल तक जो साथ साथ थे आज अपनी-अपनी वर्चस्व की लड़ाई मे अलग अलग दिशाओ मे नजर आ रहे है। वैसे यह खेल तो पुराना है अग्रेंजो की निति कि फूट डालो और राज करो कुछ तथाकथित चाटुकार जब इनकी गणेश परिक्रमा करते थक गये तो उन्होंने ने चित परिचय चाल चली वैसे एक चाटुकार vrs लेकर अपने आप को ऊचे पे रोल ले कर रिटायर करवा चुका है। खैर वाटरबौए जैसो को तो समय से पूर्व रिटायर होना ही अच्छा था खैर घोटाले, भ्रष्टाचार और कर्ज के मर्ज से दम तोड़ रहे इस विभाग मे इस वर्चस्व की लड़ाई मे कोई हारे कोई जीते परन्तु यहाँ जीत तो चाटुकारो और कनफूसियो की होनी सुनिश्चित होती नजर आ रही है जो इस पूरी वर्चस्व की लड़ाई की पटकथा तैयार करने के पुराने माहिर खिलाड़ी है आज कल पूरे दमखम से भरपूर दिख रहे है ।

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