भ्रष्टाचार के आरोपियों के मुकदमे लड़ने वाले
बार काउंसिल के कार्यक्रम में अपराजेय योद्धा राम जेठमलानी ने जब रिटायरमेंट की घोषणा की, तो मुझ समेत लाखों लोग हतप्रभ रह गए. भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई में जेठमलानी यदि सचमुच गंभीर हैं, तो क्या अब उन्हें सवालों से रूबरू नहीं होना पड़ेगा?
बार काउंसिल के कार्यक्रम में अपराजेय योद्धा राम जेठमलानी ने जब रिटायरमेंट की घोषणा की, तो मुझ समेत लाखों लोग हतप्रभ रह गए. भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई में जेठमलानी यदि सचमुच गंभीर हैं, तो क्या अब उन्हें सवालों से रूबरू नहीं होना पड़ेगा?
वकालत में कभी नहीं होता रिटायरमेंट
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ठाकुर के सामने सुनवाई के दौरान जेठमलानी ने कहा था कि मौत ही उनको रिटायर कर सकती है. इसके बावजूद कुछ महीनों बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मेंशनिंग के दौरान कहा कि यह उनका आखिरी मामला है. बार काउंसिल के चेयरमैन रह चुके जेठमलानी यदि रिटायरमेंट के लिए सीरियस हैं, तो क्या वकालत के लाइसेंस को सरेंडर करेंगे?
पुराने कानून मंत्रियों को वकालत की इजाजत क्यों मिले?
संविधान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के जज रिटायरमेंट के बाद वकालत नहीं कर सकते. जेठमलानी के अलावा शांति भूषण, सलमान खुर्शीद, अश्विनी कुमार और कपिल सिब्बल पूर्व कानून मंत्री होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं. कानून मंत्री द्वारा जजों की नियुक्ति होती है फिर पदमुक्त होने के बाद पूर्व कानून मंत्रियों को वकालत की अनुमति क्यों मिलनी चाहिए?
लालू की पार्टी से सांसद हैं जेठमलानी, फिर भ्रष्ट व्यवस्था से कैसे लड़ेंगे?
जेठमलानी बिहार से मीसा यादव के साथ पिछले साल राज्यसभा सांसद बने थे. लालू यादव चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित हैं और मीसा यादव ईडी जांच का सामना कर रही हैं. हाजी मस्तान जैसे तस्कर, आर्थिक ठग हर्षद मेहता और केतन पारिख, धार्मिक बाबा आसाराम, 2जी के घोटालेबाजों की वकालत करने वाले जेठमलानी, अब उन भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कैसे लड़ेंगे?