UP Election : लंबे समय बाद मेरठ में लक्ष्मीकांत वाजपेयी के बिना चुनाव लड़ेगी BJP

1989 ईसवी से मेरठ शहर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का मतलब डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी रहा है। प्रत्येक विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में लक्ष्मीकांत ने चुनाव लड़ा। 2022 के विधानसभा चुनावों में तस्वीर बदल गई है। अब लक्ष्मीकांत केवल चुनावी रणनीति बनाने तक सीमित रहेंगे। मेरठ शहर से इस बार भाजपा ने युवा चेहरे पर भरोजा जताया है। कमल दत्त शर्मा को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है।

ये भी पढ़ें..श्रेयस अय्यर को नही बल्कि इन दो खिलाड़ी को बनाया गया लखनऊ,अहमदाबद टीम का कप्तान!

पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के दिग्गज नेताओं में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी की गिनती होती है। हो भी क्यों ना। 32 साल से भाजपा के प्रत्येक संघर्ष में लक्ष्मीकांत बाजपेयी की भागीदारी रही है। 07 बार मेरठ शहर सीट से चुनाव लड़ने वाले लक्ष्मीकांत का सियासी सफर हार-जीत से भरा रहा है। वह 04 बार विधायक बनने में कामयाब रहे तो 03 बार हार का घूंट भी पीना पड़ा।

1989 में पहली बार लड़ा था चुनाव

1989 में मेरठ शहर सीट से पहली बार लक्ष्मीकांत बाजपेयी भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। 1993 के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1996 में उन्होंने फिर से विजयश्री हासिल की। इस दौरान वे प्रदेश सरकार में दुग्ध राज्य मंत्री बनाए गए। 2002 में विधानसभा चुनाव जीतकर लक्ष्मीकांत फिर से विधायक बने। 2007 में लक्ष्मीकांत को हार झेलनी पड़ी, लेकिन 2012 में वे चुनाव जीत गए। 2017 में भाजपा की आंधी के बाद भी वे हार गए।

चंदे के पैसे से लड़ते थे चुनाव

लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चुनावी जीत के साथ ही पार्टी संगठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बनने के बाद 2012 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इस दौरान 2014 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा ने लक्ष्मीकांत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और प्रचंड जीत हासिल की। 2017 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद से लक्ष्मीकांत लगातार हाशिए पर चले आ रहे हैं। इस समय भाजपा की ज्वाइनिंग समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं।
चंदे से इकट्ठा करते थे जमानत राशि

लक्ष्मीकांत बाजपेयी विधायी कानूनों के जानकार के रूप में पूरे प्रदेश में जाने जाते हैं। विधानसभा चुनाव में पर्चा भरने से पहले वे जमानत राशि के लिए चंदा इकट्ठा करते थे। इसके लिए वे दानपात्र लेकर व्यापारियों के पास जाते थे और लोग उन्हें दिल खोलकर चंदा देते थे। उस पैसे से ही जमानत राशि जमा की जाती थी।

स्कूटर बन गया था लक्ष्मीकांत की पहचान

मेरठ हो या लखनऊ, लक्ष्मीकांत बाजपेयी स्कूटर से चलते थे। विधायक और मंत्री बनने के बाद भी स्कूटर से चलना चर्चा में रहता था। शहर की तंग गलियों में अपने सुरक्षाकर्मी के साथ स्कूटर से आना लक्ष्मीकांत बाजपेयी की पहचान बन गया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने के बाद भी उनका स्कूटर चलना लोगों को अचंभित करता था। अपनी सादगी के लिए वे प्रसिद्ध रहे।

मेरठ में भाजपा ने इन पर जताया भरोसा

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को 107 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इसी कड़ी में भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का मेरठ शहर से टिकट काट दिया है,उनकी जगह युवा नेता कमल दत्त शर्मा को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि मेरठ कैंट से 4 बार विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल का टिकट काट कर अमित अग्रवाल को दिया है। सिवालखास विधानसभा जितेन्द्र पाल सिंह का टिकट काट कर कॉपरेटिव बैंक के चेयरमैन मनिंदर पाल को प्रत्याशी घोषित किया है। हस्तिनापुर विधानसभा और किठौर विधानसभा में विधायक के विरोध के बाद भी पार्टी ने मेरठ दक्षिण से सोमेंद्र तोमर पर फिर से भरोसा जताया है।

ये भी पढ़ें.. UP Chunav 2022: सीएम योगी आदित्यनाथ अयोध्या से भरेंगे हुंकार, इतनी बार कर चुके हैं दौरा

ये भी पढ़ें..ओमिक्रॉन का ये लक्षण नजर आने पर हो जाएं सावधान, इस तरह करें बचाव

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं…)

Dr Laxmikant BajpaiDr Laxmikant Bajpai MeerutLaxmikant BajpaiLaxmikant Bajpai got responsibilityLaxmikant Bajpai NewsUP Politicsज्वाइनिंग कमेटी में बाजपेयीडॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी
Comments (0)
Add Comment