जानें, मकर संक्रांति पर कब और कैसे शुरू हुई खिचड़ी खाने की परंपरा…

न्यूज डेस्क–मकर संक्रांति का त्योहार 2020 में 15 जनवरी को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति के पर्व पर खिचड़ी बनाने का एक अलग ही महत्व होता है इसलिए कई लोग मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाते हैं।

इस दिन भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और गुड़ तिल से बनी चीज़ें जैसे तिल के लड्डू, गजक, रेवड़ी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने से राशि में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा के पीछे भगवान शिव के अवतार कहे जाने वाले बाबा गोरखनाथ की कहानी है। खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था। इससे योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमज़ोर हो रहे थे। इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्ज़ी को एक पकाने की सलाह दी।

खिचड़ी काफी पौष्टिक होने के साथ जल्दी तैयार भी हो जाती है। इससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है। नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। गोरखपुर स्थित बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी मेला आरंभ होता है। कई दिनों तक चलने वाले इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और इसे भी प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

tradition of eating khichdi
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