जल नेति एक बचाव कोरोना वायरस से लड़ने का-योगगुरु पंकज शर्मा

कोरोना की अभी न कोई निश्चित दवा बन पाई है और न ही इसकी वैक्सीन तैयार हो पाई है..

कोरोना वायरस का संक्रमण थमने के नाम नहीं ले रहा। इसका अबतक कोई निश्चित इलाज नहीं है। न ही इसकी कोई निश्चित दवा बन पाई है और न ही इसकी वैक्सीन तैयार हो पाई है। हालांकि दुनियाभर के वैज्ञानिक इस दिशा में कार्य कर रहे हैं और आने वाले समय में इसकी दवा और वैक्सीन उपलब्ध होने की उम्मीद है। (Jal Neti से)

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जब तक इसकी वैक्सीन या दवा नहीं आ जाती, तब तक सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग ही इससे बचाव का सबसे कारगर तरीका है। साफ-सफाई, हाइजीन मेंटेन करने के साथ ही इम्यून सिस्टम बनाए रखने और कई तरह के आयुर्वेदिक उपचारों की सलाह दी जा रही है।

इस बीच इस बीच योगगुरु पंकज शर्मा ने हमें बताया कि अगर एक स्वस्थ व्यक्ति नियमित रूप से हाइपरटोनिक सेलिन वाले गुनगुने पानी के गरारे और नेजल वॉश यानी जल नेती करें तो काफी हद तक वो कोरोना के संक्रमण से अपने आप को बचा सकता है कोरोना वायरस का संक्रमण मानव शरीर के मुंह और गले से होते हुए फेफड़ों तक पहुंचता है। योगगुरु पंकज शर्मा ने हमें बताया कि हाइपरटोनिक सेलिन वाले गुनगुने पानी के गरारे और जल नेती (Jal Neti) करने से वायरस को मुंह और गले से होते हुए फेफड़ों तक पहुंचने से रोका जा सकता है।

जल नेति क्या है –

जल नेति (Jal Neti) एक प्राचीन भारतीय योग तकनीक है जिसका शाब्दिक अर्थ “पानी से सफाई” है। यह क्रिया आमतौर पर अन्य सफाई प्रथाओं के साथ सुबह दैनिक रूप से किया जाता है। जल नेति एक प्राकृतिक तकनीक है जिसका उपयोग योगी सांस की बीमारियों को रोकने के लिए करते हैं। योग और आयुर्वेद आपके शरीर को शुद्ध करने के विभिन्न तरीके सुझाते हैं ताकि यह बेहतर कार्य कर सके।

इस क्रिया को विशेष रूप से ’नोज क्लीनर’ के लिए डिजाइन किया गया हैं। नाक की सफाई प्रक्रिया के दौरान नाक से मलबे और बलगम को बाहर निकालने के लिए नाक गुहा को पानी से धोया जाता है। यह गले की समस्याओं से लड़ने और साइनस से छुटकारा पाने में भी मदद करता है।

आइये जल नेति करने की क्रिया को विस्तार से जानते है..

  • योगगुरु पंकज शर्मा ने हमें बताया यह बहुत ही सरल क्रिया है अधिक जानकारी के लिए आप यूट्यूब चैनल sharnam में वीडियो देख सकते है
    1. सबसे पहले आधा लीटर साफ जल को गुनगना गर्म करें इसमें चुटकी भर सेंधा नमक डालें।
    2. अब एक साफ जग की सहायता से नेतीपाट में यह जल डालें।
    3. कागासन की मुद्रा में बैठ जाएं। ( इसमें उकडू बैठना होता है) यदि ऐसा न बैठ सकें तो खड़े भी रह सकते हैं- खड़े अवस्था में आपको आगे की तरफ झुकना है।
    4. अब नेतीपाट की टोंटी की नोंक को अपनी उस नासिका से लगाएं( नाक में थोड़ा घुसना चाहिए) जो ज्यादा चल रही है। कहने का मतलब है कि नाक की जिस छिद्र से आपकी श्वास हवा ज्यादा आ-जा रही है,उससे टोंटी को लगाना है।
    5. इतना झुकें की पानी नाक के दूसरे छिद्र से आसानी से बाहर निकल सके।
    6. अब झुके-झुके कपालभाति करके नाक साफ करें।
    7. अब नाक के दूसरे छिद्र से जल डालने का कार्य करें ताकि पहले छिद्र से जल निकल सके।
    8. अब कपालभाति तथा अग्निसार क्रियाएं कर सारा पानी नाक से बाहर निकाल लें।
    9. सिर झुकाए हुए बारी-बारी से दोने तरफ झुकाकर तथा कनपट्टी को हल्का थपथपा कर पानी निकालें।
जलनेति क्रिया के लाभ कुछ इस तरह है-

1. नाक के अंदर की श्लेष्मिक झिल्ली की कोशिकाएँ जलेनति से सक्रिय हो जाती हैं
2. किसी भी वायरस, बैक्टीरिया अथवा दूषित वायु के दुष्प्रभाव से लड़ने की क्षमता आजाती है।
3. जलनेति के निरन्तर अभ्यास से नाक की सूंघने वाली कोशिकाएँ अत्यधिक सक्रिय हो जाती हैं।
4. जिस गंध का आभास आप पहले नहीं कर पाते थे, जलनेति के बाद वह हो जाता है
5. शरीर के आंतरिक भागों की गंध सूंघना भी सम्भव हो जाता है
6. जलनेति साइनस की शिकायत दूर करती है तथा नाक-मार्ग में उत्तेजना या संक्रमण होने से रोकती है।

7. अत: यह उन लोगों के लिए जिन्हें प्राय: श्वास संबंधी एलर्जी हो जाती है, उनके लिए अत्यधिक लाभकारी है, क्योंकि इससे नाक साफ हो जाती है और श्वसन मुक्त-भाव से होता रहता है, अत: सिर में बड़ा चैन रहता है।
8. जिन लोगों को प्राय: जुकाम या सर्दी की शिकायत रहती है, उन्हें जलनेति नियमित करनी चाहिए।

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(रिपोर्ट- अनुराग पाठक, बहराइच)

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