रियो के सिल्वर को गोल्ड में नहीं बदल पाईं सिंधु

भारत की नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू का विश्वचैंपियनशिप बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया।  तीन गेम और तकरीबन 2 घंटे तक चले मुकाबले में निजोमी ओकुहारा ने 19-21, 22-20, 20-22 से मात दी। दोनों खिलाड़ियों ने अंत तक हार नहीं मानी। दोनों के बीच एक-एक अंक के लिए आखिर तक लड़ाई चलती रही।

भारत की नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू का विश्वचैंपियनशिप बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया।  तीन गेम और तकरीबन 2 घंटे तक चले मुकाबले में निजोमी ओकुहारा ने 19-21, 22-20, 20-22 से मात दी। दोनों खिलाड़ियों ने अंत तक हार नहीं मानी। दोनों के बीच एक-एक अंक के लिए आखिर तक लड़ाई चलती रही।
आखिरी और निर्णायक सेट में मुकाबला कांटे का रहा। तीसरे सेट के पहले हाफ में सिंधू ने 11-9 से बढ़त बना ली थी लेकिन इसके बाद दोनों ने एक दूसरे को एक-एक अंक के लिए कड़ी मशक्कत करने को मजबूर कर दिया। दोनों के बीच 13-13, 14-14,15-15,16-16,17-17,19-19 और 20-20 की बराबरी हुई। ऐसे में आखिर में सिंधू को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा।

तीनों गेम के पहले हाफ में सिंधू के नाम रहा लेकिन दूसरे हाफ में वो अपनी लय बरकरार नहीं रख पाईं। हर बार दूसरे हाफ में वो जापानी खिलाड़ी से पिछड़ती दिखाई दीं।

पहले गेम के पहले हाफ में सिंधू 11-5 से आगे थीं। दूसरे हाफ में ओकुहारा ने शानदार वापसी करते हुए। पहले 14-14 की बराबरी की। इसके बाद लगातार अंक बटोरती रहीं। 19-19 की बराबरी के बाद रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता ने लगातार 2 अंक बटोरे और पहला गेम 21-19 से अपने नाम कर 1-0 की बढ़त हासिल कर ली।

दूसके गेम में के पहले हाफ में भी सिंधू ने अच्छी शुरुआत की और 11-9 की बढ़त हासिल कर ली लेकिन इसके बाद ओकुहारा ने शानदार वापसी करते हुए सिंधू को जीत के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया। 20-18 के स्कोर पर सिंधू ने तीन गेम प्वाइंट गंवाए। लेकिन इसके बाद 20-20 की बराबरी पर सिंधू ने शानदार खेल दिखाया। गेम प्वाइंट के लिए आखिर में मैच की सबसे लंबी 73 शॉट्स की रैली हुई जिसे देखकर हर कोई रोमांच से भर गया। और सिंधू ने 22-20 के अंतर से गेम अपने नाम कर 1-1 से बराबरी हासिल कर ली।

इसके बाद हार-जीत का फैसला तीसरे और अंतिम गेम में हुआ जहां दोनों खिलाड़ियों ने हार नहीं मानी। यह हाल के दिनों में महिला वर्ग में खेला गया सबसे कड़ा फाइनल मुकाबला था जिसे देखने वाला हर शख्श रोमांच से भर गया।

सिंधू का विश्व चैंपियनशिप में .ये तीसरा पदक है। इससे पहले वो साल 2013, 2014 में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।

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