व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन के पक्ष में SC का बड़ा फैसला, जरूर पढ़ें…

दिल्ली– सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 A के तहत आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट लिखने पर गिरफ्तारी का नियम हटा दिया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (SC ) ने फैसला सुनाया।

यह भी पढ़ें-3 कोरोना मरीजों की रिपोर्ट आई निगेटिव, स्वास्थ्य विभाग ने ली राहत की सांस

आईटी अधिनियम की धारा 66-ए पूरी तरह से समाप्त हो गई है। हमारा संविधान विचार, अभिव्यक्ति और विश्वास की स्वतंत्रता प्रदान करता है । लोकतंत्र में, इन मूल्यों को संवैधानिक योजना के तहत प्रदान किया जाना है ।

सुप्रीम कोर्ट (SC ) ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 A के तहत आपत्ति जनक सोशल मीडिया पोस्ट लिखने पर गिरफ्तारी का नियम हटा दिया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (SC ) ने फैसला सुनाया। वाट्सएप एक ऐसा ऐप है जिसका इस्तेमाल आज के समय में लगभग हर कोई कर रहा है । कई बार पर ग्रुप में आपत्तिजनक पोस्ट आने पर एडमिन की गिरफ्तारी तक हो जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा । वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 A को अप्रभावी कर दिया है।

दरअसल धारा 66 A ऐसा नियम है जो पुलिस को सोशल नेटवर्किंग साइटों पर कथित रूप से ‘आपत्तिजनक सामग्री’ पोस्ट करने पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस जे चेलमेश्वर और आएएफ नरीमन की खंडपीठ ने इस धारा को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया है. साथ ही इस धारा को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार छिनने वाला बताया इसलिए इस धारा को गैरकानूनी बताते हुए इस अप्रभावी कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट (SC ) ने फैसला सुनाते हुए की अहम टिप्पणी जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस फली नरीमन की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, “आईटी अधिनियम की धारा 66-ए पूरी तरह से समाप्त हो गई है । हमारा संविधान विचार, अभिव्यक्ति और विश्वास की स्वतंत्रता प्रदान करता है । लोकतंत्र में, इन मूल्यों को संवैधानिक योजना के तहत प्रदान किया जाना है ।” हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आईटी अधिनियम के दो अन्य प्रावधानों को रद्द करने से इनकार कर दिया, जो वेबसाइटों को अवरुद्ध करते हैं ।

arrestingbig newsSupreme courtwhatsapp group admin
Comments (0)
Add Comment