Ramadan 2024: रमजान का पाक महीना आज से शुरू , भूल से भी न करें ये गलती

Ramadan 2024: इस्लाम धर्म में चांद दिखने के साथ ही रमज़ान के पवित्र महीने की शुरुआत माना जाता है। ऐसे में अक्सर रमज़ान का चांद सबसे पहले सऊदी अरब और फिर भारत के कुछ हिस्सों और कुछ पश्चिमी देशों में देखा जाता है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों की तरह, चंद्रमा एक दिन बाद दिखाई देता है। हालांकि, कई बार ऐसा भी होता है कि अगर भारत समेत पश्चिमी देशों में चांद नहीं दिखता है तो सऊदी अरब में दिखे चांद के आधार पर ही रमज़ान का महीना शुरू किया जाता है.

ऐंसे में भारत और कुछ देशों में अर्द्धचांद का दीदार कल किया गया था, जिसके साथ ही आज यानी 12 मार्च से इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने में रमजान की शुरूआत हो गयी है. इस साल रमजान की पहली सेहरी 12 मार्च मंगलवार की सुबई खाकर रोजेदारों ने रोजे की शुरूआत की है. सेहरी खाने के साथ ही रोजे की शुरूआत होती है. वहीं शाम को इफ्तार के बाद रोजा खोल दिया जाता है. इसके बाद तरावीह नमाज भी शुरू होगी. उधर राजधानी दिल्ली में मंगलवार को पहले दिन सेहरी का समय सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर समाप्त किया गया. शाम 6 बजे 27 मिनट पर इफ्तार होगा. पहला रोजा लगभग 13 घंटे का होगा.

Ramadan 2024- क्या होता है रमजान ?

इस्लाम धर्म के पाक माह के तौर पर रमजान जाना जाता है . इस माह में इस्लाम धर्म के अनुयायी एक महीने तक के रोजा रखते हैं. रोजा के दौरान रोजादार रोजाना सुबह सहरी से शुरू होता है और हर दिन सूरज डूबते ही रोजा इफ्तार कर तोड़ा जाता है.. रमजान का महीना आत्मसंयम और आत्मनियंत्रण का महीना है. माना जाता है कि इस महीने की इबादत बाकी महीनों की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक सफल होती है. इस महीने लोगों को ‘रमजान मुबारक’ और ‘रमजान करीम’ कहकर बधाई देते हैं. इस बार का रोजा सबसे छोटा होने वाला है. बताया गया कि इस साल 13 घंटे 20 मिनट का रोजा रहेगा, वहीं आखिरी दिन का रोजा 14 घंटे 8 मिनट का होने वाला है.

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रोजे के दौरान भूल से भी न करें ये गलती

आपकी छोटी सी गलती भी आपका रोजा टूट सकता है. ऐसे में जरूरी है की आप इन बातों का ध्यान रखें. रोजे के दौरान आप कोई भी अपशब्द न बोले. यदि आप रोजे के दौरान अशब्द बोलते हैं तो आपका रोजा टूट सकता है. वहीं रोजे के दौरान यदि कोई रोजेदार किसी महिला को गलत निगाह से देखता है तो उसका रोजा टूट सकता है. इसके अलावा रोजेदार अगर झूठ बोलता है या पीठ पीछे किसी की बुराई करता है तो रोजा टूटने का डर रहता है.

ये लोग न रखें रोजा ?

इस्लाम में रोजा रखना हर बालिग व्यक्ति पर अनिवार्य माना जाता है. यह भी कहा गया है कि रोजा रखना इस्लाम के मूल सिद्धांतों में से एक है. इस्लाम का सिद्धांत कहता है कि सभी मुस्लिमों को पांच सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, जिनमें नमाज, हज, जकात (दान), रोजा और आस्था इन पांच सिद्धांतों को शामिल किया गया हैं. खास बात यह है कि रोजा रखना निश्चित रूप से सभी पर अनिवार्य है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में इससे छुट्टी दी गई है.

यदि कोई बीमार है और उसे दवा लेनी चाहिए तो रोजा छोड़ना गुनाह नहीं है. बीमार व्यक्ति को रोजा नहीं रखना चाहिए. वहीं, किसी महिला को पीरियड्स होने पर रोजा रखना माफ करना चाहिए. लेकिन उसके पीरियड्स खत्म होते ही उस महिला को ऱोजा रखने शुरू करना होगा.

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