मायावती ने मूर्तियों को लेकर कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

लखनऊ — यूपी की पूर्व सीएम व बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने मूर्तियों पर हुए खर्च को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है.

इस हलफनामे में माया ने शहरों में अपने द्वारा बनाई गई मूर्तियों की स्थापना को सही ठहराया और कहा कि मूर्तियां लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं. 

उन्होंने कहा कि राज्य की विधानसभा की इच्छा का उल्लंघन कैसे करूं? इन प्रतिमाओं के माध्यम से विधानमंडल ने दलित नेता के प्रति आदर व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए उनकी तरफ से इन मूर्तियों के लिए बजट का उचित आवंटन किया गया था.

मायावती ने इसके साथ ही कहा कि यह पैसा शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए या अस्पताल पर यह एक बहस का सवाल है और इसे अदालत द्वारा तय नहीं किया जा सकता है. लोगों को प्रेरणा दिलाने के लिए स्मारक बनाए गए थे. इन स्मारकों में हाथियों की मूर्तियां केवल वास्तुशिल्प की बनावट मात्र हैं और ये बीएसपी के पार्टी प्रतीक का प्रतिनिधित्व नहीं करते.

इसके अलावा हलफनामे में मायावती ने कहा, “दलित नेताओं द्वारा बनाई गई मूर्तियों पर ही सवाल क्यों? वहीं बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियों द्वारा जनता के पैसे इस्तेमाल करने पर सवाल क्यों नहीं?” मायावती ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार पटेल, शिवाजी, एनटी राम राव और जयललिता आदि की मूर्तियों का भी हवाला दिया. फिलहाल इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है.

कोर्ट ने माया से मूर्तियों के खर्च पर मांगा था जवाब 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान पूछा था कि क्या मूर्तियों पर हुए खर्च को मायावती से वसूला जाना चाहिए। 8 फरवरी को केस की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि कोर्ट का विचार है कि मायावती को मूर्तियों पर हुए खर्च को अपने पास से सरकारी खजाने में अदा करना चाहिए। 

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