चौंकाने वाला खुलासा, लॉकडाउन में इतनी महिलाएं हो सकती हैं गर्भवती…

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया के कई देश आ चुके हैं और मौत का आंकड़ा लगातार आगे बढ़ रहा है. इससे बचाव का एक मात्र उपाय फिलहाल Lockdown है क्योंकि अब तक कोई भी वैक्सीन नहीं बन सकी है.

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इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने एक महत्वपूर्ण जानकारी लोगों से साझा की है. Lockdown लोग घरों में हैं और ज्यादातर समय अपनी पत्नी के साथ बिता रहे हैं. इस वजह से जनसंख्या वृद्धि हो सकती है. ज्यादातर महिलाएं अनचाहे गर्भ धारण कर रही हैं.

70 लाख महिलाएं हो सकती हैं गर्भवती:

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कई दिनों से घर पर ही रहकर अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं. यह बात संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन से सामने आयी है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने कहा है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू बंद Lockdown के कारण प्रमुख स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित हो जाने से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब पांच करोड़ महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं जिनसे आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं.

परिवार नियोजन के संसाधनों की कमी:

आपको बता दें कि कई गरीब देशों में गरीब महिलाओं और पुरूषों के पास जनसंख्या नियंत्रण के साधनों की कमी है. ये लोग घर में परस्पर संबंध स्थापित करते समय कंडोम जैसे गर्भ रोकने वाले संसाधनों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं. संयुक्त राष्ट्र को आशंका है कि इससे अचानक जनसंख्या विस्फोट हो सकता है.

आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का कहना है कि संकट के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं परिवार नियोजन के साधनों तक पहुंच नहीं पा रही हैं अथवा उनके अनचाहे गर्भधारण का खतरा है. इसके अलावा उनके खिलाफ हिंसा और अन्य प्रकार के शोषण के मामलों के भी तेजी से बढ़ने का खतरा है.

इतनी महिलाएं करती हैं गर्भ निरोधकों का प्रयोग:

एक स्टडी में पता चला है कि 114 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 45 करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करती हैं. इसमें कहा गया है कि छह माह से अधिक समय में लॉकडाउन से संबंधित बाधाओं के चलते निम्न और मध्यम आय वाले देशों में चार करोड़ 70 लाख महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं. इनसे आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख अतिरिक्त मामले सामने आ सकते हैं. छह माह का Lockdown लैंगिक भेदभाव के तीन करोड़ 10 लाख अतिरिक्त मामले सामने ला सकता है.

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