जानिए लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी से जुड़ी कहानी का सच, जो लड़कियों को बेचने से है जुड़ी

एक महीने खरमास के बाद नए साल 2022 में 14 जनवरी पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को लोहड़ी का सबसे पहला त्यौहार मनाया जाता है।

नए साल के त्यौहार के साथ ही हिन्दुओं के त्यौहार की भी शुरुआत हो जाती है। क्योंकि एक महीने खरमास के बाद नए साल 2022 में 14 जनवरी पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को लोहड़ी का सबसे पहला त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन इस बार लोहड़ी 13 जनवरी 2022 मनाया जायेगा। वही लोहड़ी का त्यौहार किसानों के लिए बेहद ख़ास होता है। दरअसल, लोहड़ी पर किसान गेहूं की नई बालियां आग में अर्पित करके अपने फसल की अची म्पिदवर और बढ़ोतरी के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। वही पंजाब में लोहड़ी को नई बहू और बच्चे के साथ  भांगड़ा और गिद्दा करते हुए बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

लोहड़ी पर बांटते है तिल-गुड़:

पंजाब हरियाणा से लेकर देश अब पूरे देश भर में लोहड़ी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार को सभी लोग अपने अपने तरीके से मनाते हैं और इसको मकर संक्रांति भी कहते है। इस दिन लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़, गजक, रेवड़ी को देते हैं और लकड़ियां जलाकर तिल-गुड़ और रबी की फसल को आग में अर्पित करके सूर्य देव और अग्नि से प्रार्थना किया जाता है। इसके अलावा लोहड़ी पर पंजाबी योद्धा दुल्ला भट्टी की कहानी भू सुनाई जाती है।

लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी का है खास महत्व:

लोहड़ी पर लोग आग के पास बैठ कर नाच-गाना और दुल्ला भट्टी की कहानियां सुनते हैं। दुल्ला भट्टी ने की कहानी रोचक होने के साथ-साथ अलग भी है। दरअसल, दुल्ला भट्टी पंजाब के वो योद्धा थे, जिहोने मुगल सम्राट अकबर के समय में अमीर व्यापारियों से लड़कियों से बचाया था। क्योंकि मुगल साम्राज्य में अमीर व्यापारी लड़कियों को सामन की तरह बेचा करते थे। तब उस पंजाब के बहादुर योद्धा ने बहादुरी से लड़ाई लड़कर न केवल लड़कियों को उन व्यापारियों के चंगुल से बचाया था बल्कि उनकी शादी हिन्दू लडकों से करवा दिया था। तब से लेकर आज तक दुल्‍ला भट्टी को सम्‍मान देने के लिए लोहड़ी पर उनकी कहानी सुनाई जाती है।

कौन थे दुल्ला भट्टी?

दुल्ला भट्टी वैसे तो एक डाकू था लेकिन अंदर से वो एक सज्जन पुरुष था। उनका असली नाम राय अब्दुल्ला खान, जिन्हें अब पूरी दुनिया दुल्ला भट्टी के नाम से जानती है। दुल्ला भट्टी पाकिस्तान के पंजाब में पिंडी भट्टियां से है। दुल्ला भट्टी को अकबर ने सन 1599 में अपनी सेना से धोखे से पकड़वा कर आनन-फानन फांसी दे दिया था। फिर अकबर ने दुल्ला भट्टी को मियानी साहिब कब्रगाह में उनका कब्र बनवा दिया था जो आज भी वहां पर मौजूद है।

 

 

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