Hanuman Jayanti: ये है बजरंगबली के 10 विशेष अस्त्र-शस्त्र व वाहन

‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥’ वानरराज केसरी और माता अंजनीदेवी के पुत्र भगवान् हनुमान (Hanuman) का जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाने की पौराणिक मान्यता है। प्रथम चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि तथा द्वितीय कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है।

हनुमान जयन्ती (Hanuman) के पर्व पर श्रीहनुमानजी की भक्तिभाव, श्रद्धा व आस्था के सा करने का विधान है। प्रख्यात ज्योर्तिविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि मंगलवार, 7 अप्रैल को दिन में 12 बजकर 02 मिनट पर लगेगी, जो कि बुधवार, 8 अप्रैल को प्रात: 8 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। व्रत की पूर्णिमा मंगलवार, 7 अप्रैल को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा बुधवार, 8 अप्रैल को होगा। जिसके फलस्वरूप श्रीहनुमद् जन्म महोत्सव का पर्व बुधवार, 8 अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

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हनुमानजी का वाहन 

‘हनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्र’ के 72वें श्‍लोक में उन्हें ‘वायुवाहन:’ कहा गया। मतलब यह कि उनका वाहन वायु है। वे वायु पर सवार होकर ‍अति प्रबल वेग से एक स्थान से दूसरे स्थान पर गमन करते हैं। हनुमान जी ने एक बार श्रीराम और लक्ष्‍मण को अपने कंधे पर बैठाकर उड़ान भरा था। उसके बाद एक बार हनुमान जी ने बात-बात में द्रोणाचल पर्वत को उखाड़कर लंका ले गए और उसी रात को यथास्थान रख आए थे। यह भी कहा जाता है कि वे भूतों की सवारी भी करते है।

हनुमानजी के अस्त्र और शस्त्र

हनुमानजी (Hanuman) के अस्त्र-शस्त्रों में पहला स्थान उनकी गदा का है। कुबेर ने गदाघात से अप्रभावित होने का वर दिया है। हनुमान जी वज्रांग हैं. यम ने उन्हें अपने दंड से अभयदान दिया है। भगवान शंकर ने हनुमानजी को शूल एवं पाशुपत, त्रिशूल आदि अस्त्रों से अभय होने का वरदान दिया था। अस्त्र-शस्त्र के कर्ता विश्‍वकर्मा ने हनुमान जी को समस्त आयुधों से अवध्‍य होने का वरदान दिया है। उनके संपूर्ण अंग-प्रत्यंग, रद, मुष्ठि, नख, पूंछ, गदा एवं गिरि, पादप आदि प्रभु के अमंगलों का नाश करने के लिए एक दिव्यास्त्र के समान है।
1.खड्ग, 2.त्रिशूल, 3.खट्वांग, 4.पाश, 5.पर्वत, 6.अंकुश, 7.स्तम्भ, 8.मुष्टि, 9.गदा और 10.वृक्ष हैं।

हनुमानजी का बायां हाथ गदा से युक्त कहा गया है।

‘वामहस्तगदायुक्तम्’. श्री लक्ष्‍मण और रावण के बीच युद्ध में हनुमान जी ने रावण के साथ युद्ध में गदा का प्रयोग किया था। उन्होंने गदा के प्रहार से ही रावण के रथ को खंडित किया था। स्कंदपुराण में हनुमानजी को वज्रायुध धारण करने वाला कहकर उनको नमस्कार किया गया है। उनके हाथ में वज्र सदा विराजमान रहता है। अशोक वाटिका में हनुमानजी ने राक्षसों के संहार के लिए वृक्ष की डाली का उपयोग किया था। हनुमानजी का एक अस्त्र उनकी पूंछ भी है। अपनी मुष्टिप्रहार से उन्होंने कई दुष्‍टों का संहार किया है।

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