DSP का नाम सुनकर ठिकाना बदल लेते थे अपराधी, किए 64 एनकाउंटर, वो अपने पड़ोसी से हारा

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट व रिटायर DSP के चंद्रा के खुदकुशी मामले में आया नया मोड..

बिहार की राजधानी पटना के बेऊर इलाके में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट व रिटायर DSP के चंद्रा ने मंगलवार को खुदकुशी कर ली थी। डीएसपी की खुदकुशी ने कई सवाल खड़े कर दिए है। हालांकि पुलिस ने परिवार की शिकायत क आधार पर बैंक के अधिकारी पद से रिटायर पड़ोसी संतोष सिन्हा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। के चंद्रा के बेटे निश्चय वशिष्ठ ने आरोप है कि संतोष सिन्हा ने ही उनके पिता को खुदकुशी के लिए उकसाया था।

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पड़ोसी के कारण था डिप्रेशन में…

दरअसल घटना के बाद के चंद्रा का एक सुसाइड नोट मिला था जिसमें उनके मोहल्ले मित्रमंडल कॉलोनी फेज 2 के पड़ोसी संतोष सिन्हा पर प्रताड़ना का आरोप लगाया गया है। DSP के चंद्री ने अपनी डिप्रेशन का हवाला देते हुए एक महीने से नींद न आने की बात भी इस सुसाइड नोट में लिखी है। उन्होंने नोट में अपने बेटे को पासबुक, पिस्टल लाइसेंस समेत कई काम के लिए कुछ बातें पूरी करने को भी लिखा है। इसी सुसाइड नोट के आधार पर उनके बेटे एडवोकेट श्रेष्ठ ने बेऊर थाने में केस दर्ज कराया है। पुलिस केस की गहराई से तफ्तीश में जुटी है।

बताया जा रहा है कि जिस दिन के चंद्रा ने खुदकुशी की उस दिन परिवार के बाकी लोग घर के ग्राउंड फ्लोर पर थे। जबकि चंद्रा पहले फ्लोर पर अपने कमरे में थे। फायरिंग की आवाज सुनकर जब उनके बेटे कमरे में पहुंचे तो चंद्रा खून से लथपथ थे और उनके हाथ में लाइसेंसी पिस्टल थी।

के चंद्र  नाम से थर्राते थे अपराधी…

बता दें कि  के चंद्रा (DSP) बिहार के जांबाज पुलिस अफसरों में गिने जाते थे। 2004 में के चंद्रा खगौल थाना में पोस्टेड थे। उस समय खगौल का क्राइम ग्राफ काफी बढ़ा हुआ था। लेकिन अपनी तैनाती के साथ ही चंद्रा वहां के अपराधियों पर टूट पड़े थे। एक बार तो उन्होंने एक कुख्यात अपराधी को अपनी जीप के बोनट पर रखकर खगौल में घुमाया था जिसके बाद से इलाके के अपराधी उनके नाम से ही थर्राने लगे थे।

सर्विस के दौरान किए 64 एनकाउंटर… 

चंद्रा के कार्यकाल में कई अपराधियों ने तो इलाका ही बदल लिया था। जान जाने के डर से कई छोटे-मोटे अपराधियों ने भला इंसान बनना ही मुनासिब समझा।बताया जाता है कि डीएसपी के चंद्रा ने अपने सर्विस काल में करीब 64 एनकाउंटर किए, जिसमें से ज्यादादर मोकामा टाल क्षेत्र के ही हैं। इसके अलावा इन्होंने नौबतपुर इलाके में भी अपराध को खत्म करने में अहम रोल निभाया।

इतना ही नहीं उसी वक्त अपने थाने में जनता दरबार भी शुरू किया था जिससे अपराध पर लगाम लगाने में काफी मदद मिली थी। हालांकि अपराधियों की धर-पकड़ के दौरान के चंद्रा ने दो बार गोली भी खाई। लेकिन उनकी जान बच गई।

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