लखनऊ के कई इलाकों में हो रही प्रदूषित पानी की सप्लाई, महामारी का संकट गहराया

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ओर जहां शहर में गंदे पानी की सप्लाई से फैला संक्रामक रोग जानलेवा बन गया है.तो वही अब कई अन्य इलाकों में भी प्रदूषित पेय जल आपूर्ति से महामारी ने दस्तक दे दी है.

अभी हालही में बालू अड्डा क्षेत्र में गंदा पानी पीने से उल्टी-दस्त से मासूम समेत दो की मौत हो गई, जबकि 15 से अधिक बीमार बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गय था.इसके साथ ही शहर के कई क्षेत्रों के घरों में प्रदूषित पेयजल सप्लाई हो रहा हैं.

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गंभीर बीमारियों का संकट गहरा

जिससे पानी से जनित कई गंभीर बीमारियों का संकट गहरा रहा है.एक निजी संस्था के सर्वे के अनुसार अलिगंज, निशातगंज, जानकीपुरम, महानगर, आलमबाग, चौक, नरही, आशियाना, एलडीए कॉलोनी, रायबरेली रोड, सीतापुर रोड, विकस्नागर और अमीनाबाद क्षेत्रों में दूषित पानी की सप्लाई हो रही है.

मानसून के दौरान वायरस और बैक्टीरिया ज्यादा पनपते हैं
जल संस्थान द्वारा किये गए एक दौरे में कुछ महीने पहले यह भी पाया गया था कि 14 क्षेत्रों में पिने का पानी जो नालो द्वारा आ रहा है वह पिने लायक नहीं है.

निशातगंज में हो रही सबसे ज्यादा दिक्कत

निशातगंज के निवासी अखिल ने कहा कि नल से आने वाला पानी बदबू मार रहा है और यह भूरे रंग का है. महानगर के गगन सिंह ने कहा कि निवासियों के पास इस तरह का पानी पीने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. नरही निवासी अजय सेठ ने कहा कि अक्सर नल के पानी में रेत के कण होते हैं. उन्होंने कहा, क्षेत्र के अधिकांश निवासियों ने जल शोधक स्थापित किए हैं.

क्षतिग्रस्त पाइप लाइनों से हो रही है जल की सप्लाई

आलमबाग निवासी हरविंदर सिंह ने कहा कि क्षेत्र में अनधिकृत खुदाई से पानी की पाइप लाइनों को नुकसान पहुंचाया है, जिसके परिणाम स्वरूप कीचड़ पीने के पानी में मिल गया है. अमीनबाद के रिज़वान अहमद ने कहा कि इलाके में जो पिने का पानी नालो द्वारा सप्लाई होता है उसमे अक्सर रेत के कण होते हैं. जल संस्थान ने मार्च में 80 इलाकों से पानी के नमूनों का परीक्षण किया था जिसमें 14 इलाकों में अपर्याप्त क्लोरीनीकरण पाया गया था.

घरों में आपूर्ति होने से पहले वायरस और बैक्टीरिया को मारने के लिए एक लीटर पानी में लगभग 0.2 से 0.4mg क्लोरीन मिलाया जाता है. जल संस्थान के अधिकारियों ने कहा कि वे पर्याप्त क्लोरीनीकरण के बाद पानी को सप्लाई करते है, लेकिन अगर एक नमूने में रसायन का स्तर कम है, तो इसका मतलब है कि पाइप लाइन में लीकेज है जो गंदगी और अन्य अशुद्धियों को बढ़ावा देता है.जल्द ही पेय जल से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जाएगा.

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