Diwali 2022: 501 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, इस बार पांच नहीं, छह दिन मनेगा दीपोत्सव

पर्व पुंज कार्तिक माह में पांच दिवसीय दीपोत्सव कार्तिक कृष्ण द्वादशी 22 अक्टूबर को धन त्रयोदशी यानी धनतेरस के साथ शुरू हो रहा है। हालांकि दीपावली (Diwali) के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण होने के कारण प्रकाश पर्व पांच के बजाय छह दिवसीय होगा। धनतेरस से लेकर भाई दूज तक प्रतिदिन शाम को दीपदान किया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों की मान तो दीपावली पर तीन ग्रहों का यह दुर्लभ संयोग 2022 से पहले 1521 में बना था।

ऐसे में 501 साल बाद यह विशेष संयोग बन रहा है। इस बार धनतेरस 22 अक्टूबर को, तो छोटी दीपावली (Diwali) यानि रूप चौदस 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 24 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी, जबकि 25 अक्टूबर को भी कार्तिक कृष्ण अमावस्या होगी तथा इस दिन सूर्यग्रहण भी पड़ेगा। इसी तरह 26 को अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजन और 27 की भैया दूज पर्व मनाया जाएगा।

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ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि धन त्रयोदशी को प्रदोष काल में दीपदान करने से अकाल मृत्यु का नाश होता है। प्रदोष काल शाम 5: 49 से रात्रि 8: 23 तक है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी रविवार रूप चतुर्दशी है लोग पूर्व विद्धा चतुर्दशी में अरुणोदय काल में स्नान करेंगे। ऐश्वर्य की कामना करने वाले लोग सुगंधित तिल के तेल की मालिश कर स्नान करेंगे। चतुर्दशी को तेल में लक्ष्मीजी और जल में गंगा का वास होता है।

शाम को चार बत्तियों वाले दीपक से दीपदान करना चाहिए। इस दिन प्रदोष काल 5:47 से रात्रि 8:20 तक है। चतुर्दशी को धर्मराज तक को प्रणाम करने का विधान है, इसलिए तर्पण भी किया जाएगा। प्रकाश पर्व का मुख्य उत्सव दीपावली के रूप में 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। घर-घर आस्था के दीये जलेंगे। छोटी काशी को कोना-कोना प्रकाश से आलोकित होगा। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी उपरांत अमावस्या 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन किया जाएगा प्रदोष काल शाम 5:46 से रात्रि 8:20 तक रहेगा। सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त स्थिर लग्न, वृष में स्थिर नवमांश, कुंभ का समय शाम 7:22 से 7:35 मिनट रहेगा।

कार्तिक कृष्ण अमावस्या की संपूर्ण रात्रि को कालरात्रि माना जाता है इसलिए संपूर्ण रात्रि में पूजा करना श्रेष्ठ होता है। अमावस्या शाम 5:27 संपूर्ण रात्रि विद्यमान रहेगी। महामंडलेश्वर पुरूषोत्तम भारती ने बताया कि दीपावली की रात्रि में श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त, पुरुष सूक्, देवी सूक्त, कनकधारा स्तोत्र, गोपाल सहस्रनाम का पाठ एवं गुरु मंत्र का जप करना अति शुभफलदायी होता है।

सूर्य ग्रहण के कारण भाई दूज 27 को

कार्तिक अमावस्या मंगलवार 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण होाग। ग्रहण का आरम्भ अपराह्न 04: 32 बजे, ग्रहण मध्य 05:33 बजे होगा। ग्रहण समाप्त 05:46 बजे होगा। ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि यह ग्रहण स्वाति नक्षत्र और तुलाराशि पर केंद्रित रहेगा। इसलिए रू, रे, रो, त अक्षरों से शुरू होते नाम वाले लोगों एवं गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दर्शन नहीं करने चाहिए। सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व अर्थात 25 अक्टूबर को सूर्योदय के पूर्व तड़के 04:32 बजे से प्रारम्भ हो जाएगा। ऐसे में अन्नकूट और गोवर्धन पूजन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा बुधवार 26 अक्टूबर को और भाई दूज तथा यम द्वितीया गुरुवार, 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

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