यूपीः MLC की 27 सीटों पर मतदान खत्‍म, भाजपा के नाम दर्ज होगा नया रिकॉर्ड, पहली बार होगा ऐसा

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उत्तर प्रदेश में विधान परिषद (UP MLC) की खाली हुई 36 में से 27 सीट पर आज सुबह आठ बजे से मतदान शुरू हुआ, जो कि शाम चार बजे तक सपन्न हुआ. यूपी विधान परिषद चुनाव के दौरान शाहजहांपुर में शाम चार बजे तक 97.38 फीसदी वोटिंग हुई है. इसके अलावा बिजनौर में 96,14, रामपुर में 95.59, देवरिया में 98.11 और उन्नाव में 99.16 फीसदी मतदान हुआ है. जबकि आगरा-फिरोजाबाद सीट पर बंपर वोटिंग हुई है. इस सीट पर 98.06 फीसदी मतदान हुआ है. इस दौरान आगरा में 98.88 और फिरोजाबाद में 96.87 वोट डाले गए हैं. इसके अलावा सिद्धार्थनगर सीट पर बंपर वोटिंग हुई है. यहां पर 96.71 फीसदी वोट डाले गए हैं. बता दें कि इन 36 सीटों में से नौ सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों ने निर्विरोध जीत हासिल कर ली है. ऐसे में बाकी बचे 27 सीटों पर ही मतदान कराया गया है. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मतदान के दौरान भाजपा पर धांधली का आरोप लगाया है.

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40 साल बाद किसी पार्टी से पास होगा पूर्ण बहुमत

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नाम एक नया रिकॉर्ड दर्ज होने जा रहा है. यूपी विधान परिषद ( MLC) में भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल करने के काफी करीब पहुंच गई है.अगर ऐसा होता है तो 40 साल में यह पहली बार होगा जब किसी पार्टी के पास सदन में पूर्ण बहुमत होगा. इसके पहले 1982 में कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत थी. 100 सदस्यीय यूपी विधान परिषद में बहुमत का आंकड़ा 51 है. अभी भाजपा के 34 एमएलसी हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में 17 सदस्य हैं.

दूसरी ओर बसपा के चार, कांग्रेस के एक, अपना दल (सोनेलाल) के एक सदस्य हैं. इसके अलावा दो शिक्षक MLC, दो निर्दलीय और एक निषाद पार्टी के सदस्य हैं. 37 पद रिक्त हैं. इनमें से 36 पर चुनाव हो रहे हैं. हालांकि, नौ सीटें निर्विरोध जीतने के बाद भाजपा के 43 एमएलसी हो चुके हैं. बाकी 27 सीटों पर आज चुनाव हुए. इनमें भी करीब 22 से 25 सीटें भाजपा जीत सकती है. ऐसा होने पर सदन में भाजपा सदस्यों की संख्या 64 से 66 हो जाएगी. बहुमत के आंकड़े से भी कहीं ज्यादा.

सीएम योगी ने भी डाला वोट

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वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में अपना वोट डाला। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 2/3 सीटों पर जीत हासिल की और पीएम मोदी के नेतृत्व में भारी बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रही. मुझे लगता है कि 4 दशकों के बाद पहली बार सत्ताधारी दल सफल होगा. विधान परिषद में भारी बहुमत प्राप्त करने के लिए मैं स्थानीय प्राधिकारियों के निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं से कहना चाहता हूं कि लोक कल्याणकारी कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए दोनों सदनों में एक पार्टी के पास बहुमत है.’

आंकड़ों सत्ताधारी पार्टी ही रहीं है आगे

2004 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब समाजवादी पार्टी ने 36 में 24 सीटें जीती थीं.

  • 2010 में जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तब बसपा ने 36 में 34 सीटें जीती थीं.
    2016 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब सपा ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसमें आठ सीटों पर निर्विरोध ही सपा प्रत्याशी जीत गए थे.
  • 2018 में 13 सदस्य निर्विरोध ही चुनाव जीत गए थे. इसमें योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा समेत 10 सदस्य भाजपा के थे. इसके अलावा अपना दल (सोनेलाल) और सपा के एक-एक सदस्य भी चुने गए थे.
  • 2020 में शिक्षक एमएलसी के चुनाव हुए थे. तब छह सीटों में से तीन पर भाजपा, एक पर सपा और दो पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी.
  • 2020 में ही पांच एमएलसी की सीटों के लिए चुनाव हुए थे. तब तीन पर भाजपा और एक पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी.
  • 2021 में भाजपा के चार सदस्यों को राज्यपाल ने नामित किया था.

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