‘श्रवण कुमार’की तरह मां को कांवर में बैठाकर 38 हजार किमी चला ये बेटा !

आगरा–कहा जाता है कि कलयुग में श्रवण कुमार जैसे बच्चे मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है ;लेकिन मध्य प्रदेश की एक माँ के साथ कुछ ऐसा ही चमत्कार हुआ है , जिससे वह खुद को धन्य मान रही है। मध्य प्रदेश के रहने वाले कैलाश गिरी ने ‘श्रवण कुमार’ की तरह अपनी मां को 22 साल तक कांवर में बिठाकर 24 धामों की यात्रा कराई।

माँ को बिठाने के लिए बनाई गयी कांवर में एक टोकरी में उन्होंने माँ को बिठाकर और दूसरी टोकरी में जरूरी कपड़े और बर्तन रखकर संतुलन बनाते हुए रास्ता तय किया। 16 राज्यों में घूम कर 38 हजार किलोमीटर तक चले कैलाश की यात्रा जबलपुर में खत्म हो चुकी है। मंगलवार को आगरा पहुंचे कैलाश ने बताया कि वह कटंगी (एमपी) के पास एक ऐसा आश्रम खोलना चाहते हैं, जिसमें वृद्ध लोगों की सेवा हो सके। वह ताज नगरी में अपने मित्रों और भक्तों से मिलने आए थे। 

कैलाश गिरी मूल रूप से मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले हैं। पिता का नाम श्रीपाल और मां का नाम कीर्ति देवी श्रीपाल है। पिता की कैलाश के बचपन में ही मौत हो गई थी, जबकि कुछ समय बाद बड़े भाई की मौत हो गई। कैलाश बचपन से ही ब्रह्मचारी थे। आंखों की रोशन नहीं होते हुए भी मां कीर्ति ने उनका पूरा ख्याल रखा। साल 1994 में पेड़ से गिरने के बाद कैलाश की हालत बिगड़ गई और बचना मुश्किल हो गया। मां ने उनके ठीक होने पर नर्मदा परिक्रमा करने की मन्नत मांगी। ठीक होने पर कैलाश ने अंधी मां की मन्नत पूरी कराने की सोची, लेकिन पैसे नहीं थे। कई दिन सोचने के बाद मां को कांवड़ में बिठाकर नर्मदा परिक्रमा कराने के लिए निकल गया।

कैलाश ने बताया, ”मैं सिर्फ 200 रुपए लेकर घर से नि‍कला था, भगवान व्यवस्था करता चला गया और मां की इच्छा के अनुसार मैं आगे बढ़ता चला गया।” बता दें, कैलाश अब तक नर्मद परिक्रमा, काशी, अयोध्या, इलाहाबाद, चित्रकूट, रामेश्वरम, तिरुपति, जगन्नाथपुरी, गंगासागर, तारापीठ, बैजनाथ धाम, जनकपुर, नीमसारांड,अ बद्रीनाथ, केदारनाथ, ऋषिकेश, हरिद्वार, पुष्कर, द्वारिका, रामेश्वरम, सोमनाथ, जूनागढ़, महाकालेश्वर, मैहर, बांदपुर की यात्रा करते हुए मथुरा, वृन्दावन करौली होते हुए वापस जबलपुर तक गए। जबलपुर में उन्हें डीएम ने सम्मानित भी किया और आश्रम के लिए जगह देने का वादा भी किया।

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