…तो क्या प्रकृति को नहीं है मंजूर ‘गुजरात का चुनाव’

गुजरात — इस समय राजनैतिक रण बने गुजरात में प्राकृतिक आपदाओं की दस्तक से चुनावी सभाओं के कार्यक्रम में जो खलल पड़ रहा है; वो शायद इसी बात की तरफ इशारा कर रहा है कि गुजरात चुनाव प्रकृति को मंजूर नहीं है।

गुजरात में इस समय सभी बड़े राजनैतिक दलों के गणमान्य लोग मौजूद हैं और चुनावी जंग के तहत अपनी पूरी ताकत लगाते हुए लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। लेकिन ऐसे में वहां बीते दो दिनों से केरल, तमिलनाडु और लक्षद्वीप में तबाही मचाने के बाद ओखी तूफान के गुजरात पहुँचने की आशंका मौसम वैज्ञानिकों द्वारा जाहिर की जा रही थी। बता दें कि चक्रवाती तूफान ओखी मंगलवार दोपहर तक सूरत के दक्षिण-पश्चिम की ओर 370 किलोमीटर की दूरी पर तह। इस बीच एक राहत भरी खबर ये भी है कि साइक्लोन कमजोर पड़ रहा है और जिससे साइक्लोन खत्म होकर डिप्रेशन बन गया है। मौसम विभाग का कहना है कि सूरत पहुंचने से पहले ही ओखी के समंदर में खत्म हो जाने की संभावना है। 

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ओखी चक्रवात के चलते गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार पर भी असर पड़ा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रैलियां रद्द कर दी गई हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भावनगर में अपनी रैलियों को रद्द करना पड़ा है। इसी तरह राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सूरत में अपने प्रचार कार्यक्रमों को रद्द करना पड़ा। जब ओखी की तरफ से राहत भरी खबर आयी तो आज गुजरात में भूकंप ने लोगों को हिला दिया।

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गुजरात के राजकोट और रापार में दोहपर के वक्‍त भूकंप के हल्‍के झटके महसूस किए गए। चक्रवात ओखी के दहशत के बीच भूकंप के झटके से लोग सहम गए और घर से बाहर निकल आए। हालांकि भूकंप की तीव्रता कम थी (राजकोट में 3.5 और रापार में 1.8) जिसके चलते किसी तरह के नुकसान होने की खबर नहीं है। उल्‍लेखनीय है कि गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बाकी हैं ऐसे में पहले तूफान फिर भूकंप के झटकों ने चुनाव प्रचार पर भी खासा असर डाला है।

—श्वेता सिंह 

 

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