बाढ़ ने छीन ली थी गृहस्थी व जमीन , हौंसले ने बनाया वैज्ञानिक

बहराइच–कहते हैं ‘हौसले में उड़ान हो तो मंजिल अवश्य मिलती है’; इस कहावत को महसी के बाढ़ व कटान प्रभावित परिवार के दीनबंधु प्रजापति ने साबित कर दिखाया है। दो वर्ष पूर्व आई बाढ़ में गृहस्थी के साथ ही 40 बीघा भूमि नदी में समाहित होने के बाद भी उनकी हिम्मत नहीं डिगी और कड़ी  मेहनत ने उन्हें इसरो का वैज्ञानिक बना दिया।

तीन दिन पूर्व तैनाती लेटर आने पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह ट्रेनिंग के लिए केरल रवाना हो गए हैं। महसी तहसील अंतर्गत बौंडी थाना क्षेत्र का पिपरी गांव बाढ़ व कटान प्रभावित है। गांव निवासी दीनबंधु प्रजापति हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम डिवीजन से उत्तीर्ण करने के बाद इंजीनियरिंग के लिए वर्ष 2012 में गाजियाबाद चले गए। इसी दौरान वर्ष 2015 के अगस्त माह में आई बाढ़ में पिता बिहारीलाल की 40 बीघा भूमि भी कटान में समाहित हो गई। सूचना पाकर एकबारगी दीनबंधु का मन व्यथित हुआ। लेकिन मेहनत और लगन से किस्मत ने नई इबारत लिखी। गाजियाबाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में परीक्षा दी। दीनबंधु ने परीक्षा पास की। इसके बाद नव वर्ष से पूर्व उन्हें खुशी मिली। 29 दिसंबर को इसरो में चयन का लेटर दीनबंधु के घर पहुंचा। तीन जनवरी को उन्हें रिसर्च सेंटर केरल पहुंचना था। ऐसे में परिवारीजनों को सूचना देने के बाद वह 30 दिसंबर को केरल के लिए रवाना हो गए। रिसर्च सेंटर जाकर दीनबंधु ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग सांईटिस्ट पद पर ज्वाइनिंग ली।

बेटे के इसरो में चयन की जानकारी होने पर पिता फूले नहीं समा रहे हैं। उन्होंने  बातचीत में बताया कि गंगा मइया ने एक तरफ खेती को अपने में समाहित किया तो दूसरी ओर बेटे का चयन वैज्ञानिक पद पर कर दिया। अब बेटे के मानदेय से घर की गरीबी दूर हो जाएगी। 

रिपोर्ट-अमरेंद्र पाठक,बहराइच  

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